भी इसी समूह के देशों में पाई जाती है। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि जी-20 समूह के देशों की आर्थिक नीतियों एवं विदेशी व्यापार को यदि प्रभावित करने में भारत सफल रहता है तो भारत आने वाले समय में पूरे विश्व के आर्थिक पटल पर शीघ्र ही एक दैदीप्यमान सितारे के रूप में चमकेगा। जिसकी सम्भावना विश्व के विभिन्न वित्तीय संस्थानों द्वारा अभी से की जा रही है। वर्ष 2023 में जी-20 देशों के समूह की विभिन्न प्रकार की लगभग 200 बैठकों का आयोजन भारत में विभिन्न शहरों में किया जाएगा। भारत में आयोजित होने वाली इन अंतरराष्ट्रीय स्तर की बैठकों के लिए विभिन्न राज्यों को अपने शहरों में आधारभूत संरचना का विकास करना होगा जिससे इन शहरों में आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
आज पूरा विश्व ही अपनी आर्थिक समस्याओं जैसे, मुद्रा स्फीति, बेरोजगारी, तेजी से बढ़ रही आय की असमानता, वित्तीय अस्थिरिता, लगातार बढ़ रहे ऋण, बजटीय असंतुलन आदि को हल करने के उद्देश्य से भारत की ओर बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है। प्राचीन भारत की आर्थिक व्यवस्था पर यदि नजर डालें तो ध्यान में आता है कि प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत थी एवं उस समय पर भारत में अर्थव्यवस्था को धर्म के आधार पर चलाया जाता था जिसके कारण उक्त वर्णित किसी भी प्रकार की समस्या पाए जाने का जिक्र हमारे भारतीय इतिहास में नहीं मिलता है। अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों का वर्णन भारत के शास्त्रों में मिलता है, जिनके अनुसार उस समय पर अर्थव्यवस्था का संचालन होता था एवं अर्थ से सम्बंधित समस्याएं लगभग नहीं के बराबर रहती थी। इस प्रकार अब समय आ गया है जब भारत को धर्म पर आधारित आर्थिक निर्णयों को लेकर पूरे विश्व को राह दिखानी चाहिए ताकि पूरे विश्व में व्याप्त आर्थिक क्षेत्र की समस्याओं को दूर किया जा सके।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक