Home उत्तर प्रदेश जुनून वाले ही बदल सकते है जाति नहीं जमात: रामबृज

जुनून वाले ही बदल सकते है जाति नहीं जमात: रामबृज

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प्रयागराज । पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) के तत्वावधान में शनिवार को तहसील करछना की ग्रामसभा लखरावा में बहुजन समाज को जमीन के राष्ट्रीयकरण और उद्योगों के राष्ट्रीयकरण के साथ साथ संविधान के अनुच्छेद-17 का शतप्रतिशत पालन किये जाने हेतु पदम संस्थापक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज की अध्यक्षता में एक जन जागरूकता हेतु बैठक की गई।
       बैठक को सम्बोधित करते पदम संस्थापक आईपी रामबृज ने बताया कि डा. बाबासाहेब अम्बेडकर ने बहुजनों के सांस्कृतिक बदलाव हेतु जो बाइस प्रतिज्ञाये दी है उसके अलावा बहुजन समाज को अपने जीवन मे सार्वजनिक तौर पर दस और प्रतिज्ञाओ को अमल करना होगा जिससे भारत को समाजवादी व साम्यवादी राष्ट्र बनाया जा सके। बहुजन समाज को वैज्ञानिक, मानववादी और तार्किक दृष्टिकोण रखते हुए किसी भी अलौकिक, दिव्य, पारलौकिक, ईश्वरीय सत्ता में भरोसा नहीं करना होगा। बहुजन समाज को जाति महासभा के मंच या ऐसे किसी मंच पर जहां पर सिर्फ एक ही जाति के लोग मौजूद रहेंगे नहीं वहां न जाय। जाति से जमात की तरफ बढ़ने के अनुरोध के साथ ही लोगों को विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध होने और वैचारिक रिश्तेदारी के सिद्धांत के पालन के लिए बहुजन समाज को जागरूक करना होगा। बहुजन समाज को प्रतिज्ञा लेनी होगी कि उसे तथागत बुद्ध, बाबासाहेब या अन्य किसी भी महापुरुष को ईश्वर, देवता या खुदा न माने और न बनने दे। महापुरुषों को मूर्तियों, मालाओं, अगरबत्तियों, मंदिरों व पूजने की पाखंडी परंपरा से मुक्त कराकर उनके दर्शन, विचार, लेखन, साहित्य और किताबों को खोजने के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए बहुजन समाज को काम करना होगा। जाति के नेताओं को राजा-रानी और फिर देवी – देवताओं की तरह पूजने की अंधभक्ति का अपनी पूरी सामर्थ्य के साथ विरोध करना होगा। बहुजन समाज को अपने बेटे-बेटियों का विवाह जन्म से निर्धारित हुई उसकी जाति में नहीं करने का संकल्प लेना होगा। पाखंड विरोधी और ईश्वर की सत्ता को नकारने वाले महापुरुषों की जयंतियों में पाखंड के किसी भी प्रतीक को यदि वह अपने शरीर पर धारण करने वाले किसी व्यक्ति के साथ मंच साझा करने का विरोध करे। महापुरुषों की जयंतियां में मुख्य अतिथि जाति के आधार पर चयनित करने वाले कार्यक्रम का बहिष्कार करे। नमो बुद्धाय, जय भीम, जय अर्जक, जय मूलनिवासी, जय विज्ञान, जय संविधान जैसे मिशनरी अभिवादन बोलने वाले व्यक्ति के हाथ में गुलामी स्वरूप धागा या गले में अन्य कोई प्रतीक पहना देखकर उसका विरोध करना होगा। बहुजन समाज एक दूसरे के संपर्क में आने वाले लोगों में मानववादी, तार्किक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण लाने की यथासंभव कोशिश करते हुए उन्हे जाति से जमात और कमजोर, असहाय भाईयों का सहयोग करने के लिए प्रेरित करना होगा।
         आईपी रामबृज ने बताया कि राजनीति के लिए ये कठिन व दुष्कर रास्ता है किन्तु राजनैतिक परिवर्तन की चाह रखने वाले, पैसा कमाने की चाह रखने वालों के लिए ये रास्ता नहीं है लेकिन सामाजिक परिवर्तन इतना स्पष्ट हुए बिना नहीं आ सकता।
        बैठक में मनोज, रामगोपाल, लालचंद्र, राजाराम, रामशंकर, मालती, श्याम कुमारी, कुसुम कली, शर्मिला, रीता, प्रताभा, शिमला चौधरी, निरंजना, शकुन्तला, मीना देवी, श्याम कुमारी, इन्द्र कली, निर्मला, गायत्री, सुनीता सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।