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महापौर ने संभाला कामकाज तो, लगी मार्मिक गुहार,साहब जूठा बर्तन साफ कर के बनाया है गरीबखाना, इसे बचा लीजिए

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महापौर ने ज्ञापन लेकर सेतु निगम के उच्च अधिकारियों से मांगा जवाब
इरफान खान
प्रयागराज। नवनिर्वाचित महापौर ने जैसे ही कमान सम्हाली मार्मिक फरियादियों की गुहार ने सब को हिला दिया। महापौर भी भावविभोर हो गये। हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया। सोमवार को महापौर जनता जर्नादन से रूबरू हुए तो गुहार लगाने वालों का तांता लग गया। इसी में से एक आवाज आती है कि….साहब जूठा बर्तन साफ कर के गरीबखाना (घर) बनाया है। इसे बचा लीजिए साहब।
हम सब बहुत गरीब हैं। घर-घर जाकर लोगों के जूठे बर्तन को साफ किया है। अपना और बच्चों का पेट काटकर घर बनवाया है। इससे बचा लीजिए। आप ही पर हमारा भरोसा है। घर टूट जाएगा तो हम सब कहीं के नहीं रहेंगे। बेटी की शादी करनी है।
कुछ इसी तरह की फरियाद सुबेदारगंज के पास जयराम पुर मुहल्ला की 60 से अधिक पुरुष और महिलाएं महापौर गणेश केसरवानी के सामने अपनी पीड़ा बताते रहे। इस दौरान कोई महापौर का पैर पकड़ने का प्रयास कर रहा था, तो कोई हाथ पकड़ अपनी गरीबी और परेशानी को बताने का प्रयास कर रहा था।
कई महिलाएं महापौर कक्ष के बाहर घर गिरने के डर से उदास होकर रोती दिखी। करुण फरियाद सुन महापौर भी भावुक हो गए थे। इन सभी को आश्वस्त किया और कहा किसी भी तरह का अन्य नहीं होगा। बतादें कि सुबह 10.30 बजे महापौर से जयरामपुर के रहने वालों ने बताया कि चैफटका से जागृति चैराहा तक रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण पहले किया जाना था। जमीन का विवाद होने के कारण कुछ स्थान का परिवर्तन कर दिया गया है।
ऐसे में अब यह आरओबी बनाने के लिए जयरामपुर के बची से सर्वे किया जा रहा है। अगर इधर से आरओबी बनेगा तो 150 से अधिक मकान इसकी जद में आ जाएंगे और उसे ढहा दिया जाएगा। राकेश कुमार, सोनादेवी, मैनावती, मोहन सिंह ने बताया कि जब से सेतु निगम की टीम सर्वे करना शुरू किया है चैन सुकून सब छिन गया है। हर समय घट टूटने की चिंता बनी रहती है। महापौर ने ज्ञापन लेकर सेतु निगम के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर उचित जवाब मांगा हैं।

इनका कहना —
हम और हमारे बच्चे लोगों के जुठे बर्तन साफ कर गुजारा कर रहे हैं। बहुत मुश्किल से घर बनवाया है। अगर यह टूट जाएगा तो हम कहां रहेंगे। साहब हम सभी की समस्या का समाधान करिए…कमला

हमारी उम्र 66 वर्ष हो गई है। चाय की दुकान से परिवार को पेट पालती हूं। घर को तोड़ने की बात कहीं जा रही है। इस उम्र में हम और हमारा परिवार कहां रहेगा साहब…पूनम

हमारे बच्चे छोटे हैं। हम लोगों के घरों में जाकर बर्तन साफ करते हैं। तब परिवार का पेट भरता है। घर बहुत मुश्किल से बना है यह गिर जाएगा तो हम कहीं के नहीं रह जाएंगे… आशा देवी