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कैबिनेट ने दी मंजूरी, फिर भी नहीं शुरू हो पाया 300 बेड गायनी अस्पताल का निर्माण,

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लापरवाह प्रोजेक्ट मैनेजर ऐके सिंह पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं ETAWA: उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में प्रस्तावित 300 बेड का गायनी एवं पीडियाट्रिक अस्पताल एक बार फिर लापरवाही का शिकार हो गया है। राज्य सरकार की ओर से मार्च 2025 में 232.17 करोड़ की संशोधित लागत को कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के दो महीने बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। तकनीकी स्वीकृति और निर्माण की शुरुआत को लेकर देरी की बड़ी वजह राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर ए.के. सिंह की लापरवाही को माना जा रहा है। प्रोजेक्ट मैनेजर ए.के. सिंह के पास सैफई के साथ-साथ बस्ती जिले की परियोजनाओं का भी प्रभार है। यही कारण है कि वह सैफई में नियमित रूप से उपस्थित नहीं हो पाते। इस वजह से न सिर्फ 300 बेड अस्पताल का काम अटका हुआ है, बल्कि पूर्व में निर्मित 500 बेड के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को लेकर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
500 बैड सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की गुणवत्ता पर उठे सवाल-

करीब डेढ़ साल पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सैफई पहुंचकर 500 बेड के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया था, जिसका निर्माण भी ए.के. सिंह की निगरानी में हुआ था। उद्घाटन के बाद से डेढ़ वर्ष बीतने के बावजूद अब तक इस अस्पताल को विश्वविद्यालय प्रशासन को हैंडओवर नहीं किया गया है। हैरानी की बात यह है कि जिस भवन का उद्घाटन हो चुका है, उसी की छत से बीते 2 मई 2025 को बारिश में पानी टपकने की तस्वीरें वायरल हो गईं। इस मामले को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर उठाया और निर्माण की खराब गुणवत्ता को लेकर योगी सरकार को घेरा। उन्होंने वीडियो साझा करते हुए पूछा था कि क्या यही विकास है?
शासन की जांच भी संदेह के घेरे में-

घटना के बाद शासन ने दो सदस्यीय जांच टीम को सैफई भेजा था, जिसमें लोक निर्माण विभाग लखनऊ के मुख्य अभियंता भवन सी.पी. गुप्ता और राजकीय निर्माण निगम के महाप्रबंधक कन्हैया झा शामिल थे। यह टीम केवल उसी बिंदु की जांच कर लौटी, जहां से पानी टपक रहा था। बाकी भवन की गुणवत्ता, निर्माण सामग्री, फिनिशिंग और डिज़ाइन संबंधी कोई विस्तृत जांच नहीं की गई। अब यह सवाल उठ रहे हैं कि जांच समिति की भूमिका भी केवल खानापूर्ति तक सीमित क्यों रही?

न जांच पूरी, न दोषी पर हुई कार्रवाई-
इतनी गंभीर लापरवाही के बावजूद अब तक न तो दोषी प्रोजेक्ट मैनेजर ए.के. सिंह को हटाया गया है, न ही कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। अस्पताल भवन की कई तकनीकी खामियों की जानकारी सामने आ चुकी है, फिर भी शासन और निर्माण निगम मौन हैं।

अब सवाल यह है कि जब प्रोजेक्ट मैनेजर पहले भी दोषी पाए जा चुके हैं, तो उन्हें सैफई की दूसरी अहम परियोजना—300 बेड गायनी अस्पताल—का प्रभार क्यों सौंपा गया?

पृष्ठभूमि:
गायनी अस्पताल परियोजना स्वीकृति: 2016 में ₹176.77 करोड़ की लागत से समाजवादी पार्टी शासन में स्वीकृत।

अब तक खर्च: 76 करोड़।

संशोधित लागत: 232.17 करोड़ (मार्च 2025 में स्वीकृत)।

लाभार्थी जिले: इटावा, मैनपुरी, एटा,कन्नौज, औरैया, फर्रुखाबाद समेत 15 जिले।

प्रमुख प्रोजेक्ट अधिकारी: ए.के. सिंह (सैफई और बस्ती दोनों परियोजनाओं का प्रभार)।

500 बैड सुपर स्पेशलिटी अस्पताल उद्घाटन: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा, करीब डेढ़ साल पूर्व। अब तक हैंडओवर नहीं।