राजनैतिक द्वेष में नाम काटने वाली तत्कालीन बीएलओ के खिलाफ कानूनी शिकंजा, जिलेभर के कर्मियों में खलबली
SIDHARTH NAGAR, मतदाता सूची से नामों को मनमाने ढंग से काटने के खेल पर अब शिकंजा कस गया है। सिद्धार्थनगर में यह पहला मामला है, जब किसी बीएलओ के खिलाफ मतदाता का नाम गैर-कानूनी तरीके से हटाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। इस कार्रवाई से जिलेभर के बीएलओ में हड़कंप मच गया है और अब उन्हें भविष्य में ऐसी दोषपूर्ण कार्रवाई करने से पहले सौ बार सोचना पड़ेगा। घटना विकास खंड बर्डपुर के ग्राम पंचायत महादेवा कुर्मी से जुड़ी है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन बीएलओ कृष्णावती चौधरी पर आरोप था कि उन्होंने राजनैतिक कारणों से अपने विरोधियों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए और नेपाल के कुछ नागरिकों के नाम भी गैर-कानूनी रूप से जोड़ दिए। मतदान के दिन जब प्रभावित मतदाता, जिनमें राकेश पुत्र शेषनाथ प्रमुख थे, वोट नहीं डाल पाए, तब यह साजिश सामने आई। राकेश ने एसडीएम और जिलाधिकारी से शिकायत की, लेकिन अनसुनी रही। इसके बाद उन्होंने आरटीआई के माध्यम से सूचना एकत्र कर शासन, नेता विरोधी दल और चुनाव आयोग तक मामले को प्रमुखता से उठाया। करीब एक साल की लगातार पैरवी के बाद जांच में उनकी शिकायत सही पाई गई। इसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर गत दिवस कपिलवस्तु कोतवाली में बीएलओ कृष्णावती के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 173 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। अब कृष्णावती पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है, साथ ही विभागीय कार्रवाई की भी आशंका है। इस मामले के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों में नेपाली नागरिकों के वोटर बनने के मामलों पर भी प्रशासन को विशेष ध्यान देना होगा।