Home उत्तर प्रदेश जन कवि मोहन लाल की पुस्तक अलगौझी का विमोचन’

जन कवि मोहन लाल की पुस्तक अलगौझी का विमोचन’

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Prayagraj News : निवासी अवधी के प्रसिद्ध जनकवि मोहन लाल के काव्य संग्रह अलगौझी का विमोचन और चर्चा 19 सितंबर को स्वराज विद्यापीठ वूमेन हॉस्टल के सामने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भारतीय सांस्कृतिक सहयोग और मैत्री परिषद द्वारा आयोजित किया गया था। चर्चा में बोलते हुए कवियों और बुद्धिजीवियों ने कहा कि मोहन लाल यादव अवधी माटी एवं अवधी भावभूमि के प्रतिनिधि कवि हैं। परंपरा और प्रकृति उनके व्यक्तित्व के पोर- पोर में समाई है। वे गाँव- जवार के, खेत- खलिहान के, वन- उपवन के कवि हैं। अवधी जनजीवन और परंपराओं से उनका गहरा लगाव है। उनका यही बोध उनको नास्टैल्जिक नहीं बनने देता है। उनकी कविता में कहीं- कहीं नागार्जुन की छाप दिखाई देती है, विशेषकर व्यंग्य में। कहीं- कहीं हास्य प्रत्यक्ष उजागर होता है तो कहीं सूक्ष्म है। संग्रह की शीर्षक कविता अलगौझी अनायास ही प्रेमचंद की कहानी अलगौझा की याद दिलाती है। लेकिन आज के अलगौझा की कहानी प्रेमचंद के समय से बहुत आगे जा चुकी है। प्रेमचंद की अलगौझा में भाईयों में भाईयों में बटवारा होता है लेकिन वैमनस्य नहीं हुआ है। परंतु मोहनलाल की कविता अलगौझी में बटवारे के साथ साथ दोनों भाईयों में इतना वैमनस्य हो चुका है कि कवि उसकी बराबरी भारत और पाकिस्तान से करता है। जाहिर सी बात है कि वैमनस्य का कुछ बाहरी लोग मजा भी लेंगे। इस कविता में कवि का इशारा साफ है कि भाईयों के द्वेष का फायदा दूसरे लोग उठाते हैं। चर्चा को मुख्य रूप से प्रो हेरम्ब चतुर्वेदी, वरिष्ठ रचनाकार नीलकांत, अनीता गोपेश, गायत्री गांगुली, अविनाश मिश्र, अजीत बहादुर ने सम्बोधित किया। चर्चा की अध्यक्षता प्रबुद्ध लेखक श्री प्रकाश मिश्र और संचालन आनंद मालवीय ने किया।सभा मे प्रो आर पी सिंह, प्रो आर पी सिंह, कॉम हरिश्चन्द्र पाण्डेय, प्रकर्ष मालवीय, धर्मेंद्र यादव, एस पी शर्मा, जे पी शर्मा, मुन्नीलाल यादव, रमाकांत मौर्य,राजनारायण सिंह समेत बड़ी संख्या मे लोग उपस्थित थे.