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रामचरितमानस हमें भक्ति, समर्पण, और सत्य के मार्ग पर चलने के साथ कई महत्वपूर्ण संदेश देता है : पंडित गौरांगी गौरी जी महाराज

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कथा के पांचवे दिन राम जन्म प्रसंग सुनाया, अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक को सुनने जुट रहें हज़ारो लोग

गया संवाददाता। जिले के गुरारू प्रखंड स्थित गनौरी टिल्हा गांव में श्री राम कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। विगत 21 मई से चल रहे श्री राम कथा के पाँचवे दिन की कथा की शुरुआत श्री राम स्तुति श्री राम चन्द्र कृपालु भजमन से हुई जिसे सुनते ही भक्तगण झूम उठें। पूज्या पंडित गौरांगी गौरी जी श्री राम जन्म के प्रसंग को विस्तृत में सुनाया। अंतराष्ट्रीय कथा वाचक गौरांगी गौरी ने कथा के माध्यम से कहा कि श्री राम के जन्म प्रसंग से, रामचरितमानस हमें कई महत्वपूर्ण संदेश देता है। यह हमें भक्ति, समर्पण, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। साथ ही, यह हमें परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने का महत्व सिखाता है।  महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ आरंभ करने की ठानी। महाराज की आज्ञानुसार श्यामकर्ण घोड़ा चतुरंगिनी सेना के साथ छुड़वा दिया गया। महाराज दशरथ ने समस्त मनस्वी, तपस्वी, विद्वान ऋषि-मुनियों तथा वेदविज्ञ प्रकाण्ड पण्डितों को यज्ञ सम्पन्न कराने के लिये बुलावा भेज दिया। निश्‍चित समय आने पर समस्त अभ्यागतों के साथ महाराज दशरथ अपने गुरु वशिष्ठ जी तथा अपने परम मित्र अंग देश के अधिपति लोभपाद के जामाता ऋंग ऋषि को लेकर यज्ञ मण्डप में पधारे। इस प्रकार महान यज्ञ का विधिवत शुभारंभ किया गया। सम्पूर्ण वातावरण वेदों की ऋचाओं के उच्च स्वर में पाठ से गूंजने तथा समिधा की सुगन्ध से महकने लगा। समस्त पण्डितों, ब्राह्मणों, ऋषियों आदि को यथोचित धन-धान्य, गौ आदि भेंट कर के सादर विदा करने के साथ यज्ञ की समाप्ति हुई। राजा दशरथ ने यज्ञ के प्रसाद चरा(खीर) को अपने महल में ले जाकर अपनी तीनों रानियों में वितरित कर दिया। प्रसाद ग्रहण करने के परिणामस्वरूप तीनों रानियों ने गर्भधारण किया। सम्पूर्ण राज्य में आनन्द मनाया जाने लगा।

श्री राम जन्म को विस्तार से समझाते हुए पूज्या गौरी जी आगे कहती हैं,महाराज के चार पुत्रों के जन्म के उल्लास में गन्धर्व गान करने लगे और अप्सराएं नृत्य करने लगीं। देवता अपने विमानों में बैठ कर पुष्प वर्षा करने लगे। महाराज ने उन्मुक्त हस्त से राजद्वार पर आए भाट, चारण तथा आशीर्वाद देने वाले ब्राह्मणों और याचकों को दान दक्षिणा दी। पुरस्कार में प्रजा-जनों को धन-धान्य तथा दरबारियों को रत्न, आभूषण प्रदान किए गए। चारों पुत्रों का नामकरण संस्कार महर्षि वशिष्ठ के द्वारा किया गया तथा उनके नाम रामचन्द्र, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखे गए। आयु बढ़ने के साथ ही साथ रामचन्द्र गुणों में भी अपने भाइयों से आगे बढ़ने तथा प्रजा में अत्यंत लोकप्रिय होने लगे। उनमें अत्यन्त विलक्षण प्रतिभा थी जिसके परिणामस्वरू अल्प काल में ही वे समस्त विषयों में पारंगत हो गए। उन्हें सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों को चलाने तथा हाथी, घोड़े एवं सभी प्रकार के वाहनों की सवारी में उन्हें असाधारण निपुणता प्राप्त हो गई। वे निरन्तर माता-पिता और गुरुजनों की सेवा में लगे रहते थे।

श्रद्धालुओं के जय श्री राम –  जय श्री राम के नारे से पंडाल गूंज उठे पंडाल में कथा खत्म होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ कथावाचक पूज्या गौरांगी जी के तरफ आशीर्वाद लेने हेतु चल पड़ी। मौजूद तमाम लोग गौरी जी के साथ एक सेल्फी लेने के लिए आतुर दिखें। कार्यक्रम का आयोजन विगत 21 मई से आगामी 31 मई तक किया जाएगा। कार्यक्रम का आयोजन राजमंगल सिंह व रंजीत सिंह के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। उक्त कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पूज्या पंडित गौरांगी गौरी जी द्वारा श्री राम कथा को सुनने हेतु हज़ारो लोग रोज शिविर में आ रहे हैं।