Home आस्था योग और जल तत्त्व गढ़मऊ झील पर आत्म-साधना का अनुभव

योग और जल तत्त्व गढ़मऊ झील पर आत्म-साधना का अनुभव

16
0

प्रकृति की गोद में स्वस्थ जीवन की ओर एक कदम प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध गढ़मऊ झील परिसर में

JHANSI: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर एक प्रेरणास्पद आयोजन “योग और जल तत्त्व गढ़मऊ झील पर आत्म-साधना का अनुभव” शीर्षक से किया गया। यह आयोजन “30 दिन, 30 अनुभव” अभियान की श्रृंखला का एक विशेष भाग था, जिसके माध्यम से विश्वविद्यालय ने पूरे जून माह में योग, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन से संबंधित विविध गतिविधियाँ संचालित की हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य था प्रकृति की गोद में योगाभ्यास द्वारा आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता और शारीरिक संतुलन की अनुभूति कराना तथा ‘एक धरती, एक स्वास्थ्य’ की भावना को जनमानस तक पहुँचाना। यह आयोजन  कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय ने की उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि यह जीवन के प्रति हमारी सोच को संतुलित करने का मार्ग है। गढ़मऊ झील जैसे प्राकृतिक एवं रमणीक परिवेश में योगाभ्यास आत्मिक शांति और मानसिक एकाग्रता को और अधिक सशक्त करता है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का यह प्रयास स्वस्थ, जागरूक और संतुलित समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम संयोजक एवं आईक्यूएसी निदेशक प्रो. सुनील कुमार काबिया ने कहा यह आयोजन ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ की थीम को साकार करता है। योग, प्रकृति और आत्म-संयम का यह त्रिवेणी संगम न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है, कुलसचिव राज बहादुर सिंह ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा गढ़मऊ झील पर आयोजित योग कार्यक्रम बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की समाजोन्मुखी सोच का प्रत्यक्ष उदाहरण है। ऐसे आयोजन स्वास्थ्य, सामूहिक सहभागिता और प्रकृति के प्रति चेतना को बढ़ावा देते हैं। योग सत्र का संचालन भोपाल से आये प्रख्यात योग गुरुओं डॉक्टर रेखा गुप्ता एवं डॉक्टर नीलम मिश्रा द्वारा किया गया। डॉक्टर रेखा गुप्ता ने कहा प्राकृतिक वातावरण में किया गया योग शरीर और मन को भीतर से ऊर्जा प्रदान करता है। यह मन की चंचलता को नियंत्रित करने का सर्वोत्तम साधन है। डॉक्टर नीलम मिश्रा ने बताया नियमित योगाभ्यास से न केवल तन स्वस्थ रहता है, बल्कि यह जीवन में स्थिरता और आत्मिक अनुशासन भी लाता है। गढ़मऊ झील के शांत वातावरण में आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों, शिक्षकों, एनसीसी कैडेट्स और स्थानीय नागरिकों की उत्साहजनक सहभागिता रही। योगासनों में सूर्य नमस्कार, वृक्षासन, ताड़ासन, प्राणायाम, अनुलोम-विलोम आदि का अभ्यास किया गया। कार्यक्रम में आभार वक्ता डॉ. राजीव बबेले रहे,  साथ ही डॉ. जितेन्द्र बबेले, डॉ. ऋषि सक्सेना, डॉ आर के सेनी, हितिका यादव,डॉ. धीरेंद्र यादव, हेमंत चंद्रा, डॉ उपेंदर तोमर,  डॉ रूपम सक्सेना, चंद्रभान प्रजापति, शशांक,आशीष वर्मा, डॉ के ले, सोनकर, अंजुल यादव, सहित विश्वविद्यालय के अनेक गणमान्य शिक्षकगण एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन सामूहिक ध्यान एवं प्रसन्नता की अनुभूति के साथ हुआ, जिसने योग, प्रकृति और समाज के त्रिक संगम को गहराई से अनुभूत कराया।