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भगवान ही हैं समर्थवान- पं. विनय शुक्ल जीश्रीमदभागवत कथा में भगवान गोवर्धन पूजन का प्रसंग सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालुप्रतापगढ़। नगर पंचायत लालगंज के कहारन का पुरवा वार्ड में हो रही श्रीमदभागवत कथा में छठें दिन बुधवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमडी दिखी। कथाव्यास भागवतभूषण पं. विनय शुक्ल ने कहा कि भगवान समर्थवान हैं। उन्होने कहा कि भगवान की लीला सदैव अहंकार को नष्ट करने और धर्म की मर्यादा की रक्षा में हुआ करती है। कथाव्यास पं. विनय शुक्ल जी ने भगवान गोवर्धन की पूजा का मनोहारी प्रसंग सुनाते हुए कहा कि गोवर्धन से हमें समस्त फलों की प्राप्ति हुआ करती है। उन्होने कहा कि गोवर्धन पर्वत का भगवान ने पूजन कर मनुष्य को प्रकृति के द्वारा जीवन की रक्षा के महत्व को समझाया है। उन्होनें बताया कि भगवान ने प्रकृति को इसलिए वंदनीय स्वरूप दिया कि जगत में जीव कल्याण की चेतना सदैव जागृत रहे। उन्होने श्रद्धालुओं को बताया कि जल में निर्वस्त्र स्नान भगवान की प्राकृतिक व्यवस्था का अपमान है। उन्होने कहा कि भगवान ने लीला का जो भी स्वरूप धारण किया उसमें अहंकार का विनाश हुआ है। उन्होनें बताया कि भगवान की लीला से हमें यह समझना चाहिए कि प्रभु ने जिसे जो स्वरूप प्रदान किया है उसी तरह के कर्म करने चाहिए। उन्होने बताया कि कर्म की पवित्रता और साधना ही भगवान के कार्य की सफलता देने का मार्ग प्रशस्त करती है। संयोजक जितेन्द्र बाबा व बबिता देवी ने व्यासपीठ का पूजन अर्चन किया। इस मौके पर श्रीनारायण त्रिपाठी, रामलोचन त्रिपाठी, देवी प्रसाद मिश्र बेलौरा, अनिल त्रिपाठी महेश, हरिदत्त तिवारी, भोला सिंह, निशा मिश्रा, आईपी मिश्र, सिल्लू मिश्र, राजेन्द्र दुबे आदि रहे।