Home आस्था भगवान की प्राप्ति भक्ति के पूर्ण समर्पण में है निहित-आचार्य देवव्रत जी

भगवान की प्राप्ति भक्ति के पूर्ण समर्पण में है निहित-आचार्य देवव्रत जी

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पितम्बरन का पुरवा में हो रही श्रीमदभागवत कथा में उमड़े श्रद्धालु

PRATAPGARH: डेरवा क्षेत्र के पिपरन का पुरवा में हो रही श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ में सोमवार को भगवान द्वारिकाधीश की महिमा का बखान सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे दिखे। अर्न्तराष्ट्रीय कथाव्यास आचार्य देवव्रत जी महराज ने रूक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को नैतिक जीवन के पथ पर आगे बढ़ने का गुर बताया। उन्होनें श्रद्धालुओं से कहा कि भगवान द्वारिकाधीश ने रूक्मणी को वांछित वर प्रदान कर सशक्तीकरण का आदिकाल में ही गौरव प्रतिष्ठित किया। उन्होनें कहा कि अहंकार और अत्याचार के बढ़ने पर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से धरती को धर्म का प्रतिफल मिला। आचार्य देवव्रत जी ने कहा कि भगवान की प्राप्ति के लिए जीव को सिर्फ समर्पण का बोध रखना चाहिए। उन्होनें बताया कि भगवान की कृपा जीवन के नैतिक आचरण के मूल्यांकन पर आधारित हुआ करती है। आचार्य देवव्रत ने कहा कि कलिकाल में सिर्फ हरिनाम का स्मरण ही जीव को समस्त पापों के हरण का मार्ग प्रदान करता है। श्रीमदभागवत गीता के श्लोकों का उद्धरण रखते हुए कथाव्यास देवव्रत जी ने भगवान की महिमा, क्षमाशीलता व दया तथा करूणा का भी श्रद्धालुओं को बोध कराया। कथा में श्रीहरि के मधुर संगीतमयी भजनों में भी श्रीराधे भक्तों को झूमते देखा गया। कथा के संयोजक सुरेन्द्र नाथ मिश्र ने सपत्नीक व्यासपीठ का पूजन अर्चन किया। ऑल इण्डिया रूरल बार एसोशिएसन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल व लालगंज संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश ने आचार्य देवव्रत महराज का अधिवक्ताओं एवं श्रद्धालुओं की ओर से सारस्वत सम्मान किया। इस मौके पर अधिवक्ता मोनू पाण्डेय, दिनेश सिंह, विजय मिश्र, बबलू पाण्डेय, राजीव द्विवेदी, धीरज मिश्र, मनोज ओझा, लल्लू पाण्डेय, विनोद पाण्डेय आदि मौजूद रहे।