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गंगा तट पर मां सरस्वती की पूजा के साथ बसंत ऋतु का हुई स्वागत

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वाराणसी।बसंत पंचमी पर्व को नमामि गंगे ने महर्षि योगी वेद विद्यालय के वेदपाठी बटुकों के साथ प्रकृति को नमन कर मनाया । सिंधिया घाट के गंगा तट पर ज्ञान की अधिष्ठात्री मां सरस्वती, मां गंगा, भगवान भास्कर एवं प्रकृति की आरती उतारी गई । वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा के साथ बसंत ऋतु का स्वागत किया गया। प्रकृति को प्रणाम करके प्रकृति के प्रिय विषय नदी, वृक्ष से प्रेम ,साफ- सफाई, स्वच्छता आदि से लोगों को जुड़ने का आवाह्न किया गया । नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि बसंत पंचमी प्रकृति से प्रेरणा लेने और जीवन को आनंदित करने का त्योहार है। प्रकृति संग जीवन में नई ऊर्जा का संचार है बसंत पंचमी। भगवान कृष्ण ने गीता में “ऋतु कुसुमाकर” कहकर बसंत को अपनी सृष्टि माना है। बसंत पंचमी वो समय है जब मौसम में, फसलों, भोजन, वस्त्रों में बदलाव देखे जा सकते हैं। ये ही प्रकृति से प्रार्थना करने का उपयुक्त समय भी है। कहा कि प्रकृति को प्रणाम करना आज इसलिए आवश्यक हो जाता है कि जिस तरह से हमारे बीच में से प्रकृति हमको छोड़ रही है वह हमारी निष्क्रियता ही है जिसके कारण प्रकृति ने मुंह मोड़ा है। इसलिए जरूरी है कि प्रकृति को प्रणाम करें और उससे प्रार्थना करें कि वह हम सब पर कृपा बनाए रखे। और हम प्रकृति के साथ ऐसे प्रयोग व व्यवहार करे और इस तरह उसकी सेवा करे ताकि वो हमें न त्यागे । आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, निधि अग्रवाल, महर्षि योगी वेद विद्यालय के बटुक हर्ष त्रिपाठी पवन तिवारी, ओंकार मिश्रा, दुर्गेश मिश्रा, भोला चौबे आदि उपस्थित रहे।