आपको राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे की बात तो याद ही होगी, जब गुजरात में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वो भारत दौरे पर आए थे। ठीक उसी वक्त सीएए को लेकर प्रदर्शन का दौड़ देखने को मिला। दिल्ली से लखनऊ तक हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे और वहीं गुजरात में अमेरिका के राष्ट्रपति की मौजूदगी भी थी। फिर भी देश में सेना को उतारने की नौबत नहीं आई थी।
साल 2019 राष्ट्रहित से जुड़े बदलावों का वो साल जिसमें मोदी सरकार के वो वे फैसले शामिल थे, जिसने पूरे देश को चौंका दिया था। एक एक नागरिक चौंक गया था। धारा 370 को हटाने के बाद बारी सीएए, एनआरसी की थी। वो भी हुआ। ये नागरिकता संशोधन कानून था। सरल भाषा में कहे तो इसका मकसद अवैध प्रवासियों की भीड़ को देश के नागरिकों से अलग करना। लेकिन भारत में इसका भी विरोध हुआ क्योंकि इस कानून का एक क्लॉज ऐसा था, जिसमें पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी व ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान था। लेकिन मुसलमानों को इसमें शामिल नहीं किया गया था। इस कानून को नतीजन मुस्लिम विरोधी माना गया और देखते ही देखते विरोध प्रदर्शन का दौर भी शुरू हो गया। आपको राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे की बात तो याद ही होगी, जब गुजरात में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वो भारत दौरे पर आए थे। ठीक उसी वक्त सीएए को लेकर प्रदर्शन का दौड़ देखने को मिला। दिल्ली से लखनऊ तक हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे और वहीं गुजरात में अमेरिका के राष्ट्रपति की मौजूदगी भी थी। फिर भी देश में सेना को उतारने की नौबत नहीं आई थी।
भारत में जिस हिसाब से दंगों और प्रदर्शनों को मैनेज किया जाता है। उससे अमेरिका और अमेरिका के राष्ट्रपति को सीखना चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप को तो खासकर। बिना सेना को उतारे मुश्किल हालातों को कैसे मैनेज किया जाता है। ये भारत निश्चित तौर पर समझा सकता है। ट्रंप चाहे तो भारत सरकार इसमें मदद कर सकती है। भारत सरकार की तरफ से उन्हें एक विशेष टीम भी भेजी जा सकती है, अगर ट्रंप को मदद चाहिए तो। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि खुद को सुपरपावर बताने वाले अमेरिका से आ रही तस्वीरें बहुत ही शर्मिंदगी भरी है। अमेरिका की सड़कों पर टैंक की तस्वीरें देखकर दुनिया हैरान है। लोगों के मन में कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर ट्रंप प्रशासन में ये क्या हो रहा है?
अमेरिका के लॉस एंजिल्स में प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन 5वें दिन भी जारी रहा। अमेरिका ने करीब 12 राज्यों के 25 शहरों में ट्रम्प सरकार की आव्रजन नीति और लॉस एंजिल्स में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे। सैन फ्रांसिस्को, डलास, ऑस्टिन, टेक्सास और न्यूयॉर्क में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए। राष्ट्रपति ट्रम्प ने लॉस एंजिल्स में 4 हजार नेशनल गार्ड के बाद 700 मरीन को भी भेजा है। इससे पहले, लॉस एंजिल्स पुलिस ने 900 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है।
कैलिफोर्निया खास क्यों
सिलिकॉन वैली और हॉलीवुड स्थित, लॉस एंजिल्स दूसरा बड़ा शहर है। सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था केवल अमेरिका ही नहीं दुनिया का 5वां सबसे बड़ा आर्थिक इंजन है। 2023 में कैलिफोर्निया की जोडीपी 4.2 ट्रिलियन डॉलर थी, जो भारत से भी बड़ी थी। कैलिफोर्निया की आबादी 3.9 करोड़ है। लॉस एंजिल्स करीब 40 लाख आबादी बाला शहर है। न्यू यॉर्क के बाद दूसरा सबसे बड़ा। लॉस एंजिल्स का हॉलीवुड दुनिया का सबसे बड़ा मनरंजन उद्योग है। हर साल हॉलीवुड 600 से ज्यादा फिल्में बनता है। वैश्विक बॉक्स ऑफिस राजस्व का 35% से अधिक हिस्सा अकेले देता है। 2023 में बॉलीवुड और अमेरिकी मनोरंजन उद्योग का कुल राजस्व करीब 59 लाख करोड़ रुपए था। हॉलीवुड के चलते 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है। टेसबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों गूगल, एप्पल, फेसबुक, टेस्ला का गढ़ सिलिकॉन वैली कैलिफोर्निया में है।
प्रदर्शनकारियों को डेमोक्रेट और चीन पैसे दे रहे
ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी ने लॉस एंजिल्स में प्रदर्शनों को लेकर डेमोक्रेट नेताओं और चीन पा गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपब्लिकन सांसद बिल एसेयली ने एक पोस्ट में लिखा- ये प्रदर्शन स्वतःस्फूर्त नहीं हैं। इनकी फंडिंग डेमोक्रेट समर्थित संगठनों और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी संस्थाओं द्वारा की जा रही है। एसेयली ने कहा कि आईसीई के खिलाफ यह प्रदर्शन चिरला ने आयोजित किया था। जिसे 2023 में बाइडेन प्रशासन के दौरान करीब 285 करोड़ रुपए की फंड मिली थी। मार्च 2025 में होम सिक्योरिटी ने उनकी फंडिग पर रोक लगाई और बकाया राशि वापस ले ली। रिपब्लिकन ने पीएसएस पर शक जताया है कि उसे चीनी अरबपति नैविल सिंगबम से फंडिंग मिली है। जो अमेरिका के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को पैसे देते हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ मुकदमा करेंगे गवर्नर
लॉस एंजिलिस में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों के बाद पुलिस ने लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी। कैलिफॉर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम ने नैशनल गार्ड्स की तैनाती का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ‘ट्रंप यही चाहते थे। उन्होंने हालात को भड़काया। हम उन पर मुकदमा करने जा रहे हैं।’ वहीं, व्हाइट हाउस ने कहा, लॉस एंजिलिस में हिंसक दंगे भड़कते रहे और गवर्नर ने कुछ नहीं किया। अब राष्ट्रपति ट्रंप ने दखल दिया है।
सड़कों पर टैंक
एक तरफ अमेरिका जल उठा है तो दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बड़े कार्यक्रम की तरफ बढ़ रहे हैं। 14 जून को आर्मी एनिवर्सिरी परेड का आयोजन कराया जा रहा है। इसी दिन ट्रंप का जन्मदिन भी है और वो 79 साल के हो जाएंगे। इसके अलावा यूएस आर्मी की ये 250वीं एनिवर्सरी होगी। इसे धूमधाम से मनाने के लिए भारी संख्या में सैन्य हथियारों, टैंक को परेड के लिए बुलवा रहे हैं। अमेरिकी सेना 6500 सैनकों को वाशिंगटन पहुंचा रही है। उनके साथ साथ 50 बख्तरबंद गाड़ियां भी आ रही हैं। इसके अलावा 50 एयरक्रॉफ्ट भी सेलिब्रेशन में शामिल होंगे।