Home बड़ी ख़बरें Pakistan के लिए भारत से भिड़ा चीन, रोकेगा ब्रह्मपुत्र नदी का पानी

Pakistan के लिए भारत से भिड़ा चीन, रोकेगा ब्रह्मपुत्र नदी का पानी

4
0

भारत पाकिस्तान के जल विवाद में चीन भी कूद गया है। चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी में भारत के पानी को रोकने की चेतावनी दी है। आपको बता दें कि बीजिंग स्थित सेंटर फॉर ताइना एंड ग्लोबलाइजेशन के उपाध्यक्ष विक्टर गाओ का बयान सामने आया है। गायो ने भारत के सिंधु जल समझौते पर रुख को लेकर नाराजगी जताई है। विक्टर गाओ ने भारत से कहा कि दूसरों के साथ ऐसा बर्ताव न करें जो आप खुद पसंद नहीं करते। ऐसे में आपको बताते हैं कि क्या चीन सचमुच भारत का पानी रोक सकता है? क्यों पाकिस्तान को लेकर चीन इतना बेचैन है और भारत अब क्या ताइवान कार्ड खेलने जा रहा है। दरअसल, विक्टर गाओ ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में पाकिस्तान की मदद के लिए क्या चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोके जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि दूसरों के साथ ऐसा बर्ताव न करें जो आप खुद पसंद नहीं करते।

सदाबहार मित्र के लिए चीन  ब्रह्मपुत्र को बनाएगा हथियार

उन्होंने तीन बार इस बात को दोहराया। मतलब साफ है कि अगर भारत पाकिस्तान को पानी देना बंद करेगा तो चीन भी ब्रह्मपुत्र को हथियार बना सकता है। ब्रह्मपुत्र वो नदी है जो तिब्बत से निकलकर भारत के अरुणाचल और असम में आती है। ये लाखों भारतीयों की जल जीवन रेखा है। चीन अगर इस पर डैम बनाए, डाइवर्जन करे या पानी रोके तो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भयंकर संकट पैदा हो सकता है। वैसे चीन की ये धमकी ऐसे ही नहीं आई। इसके पीछे का बड़ा कारण सिंधु जल संधु है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि निरस्त कर दिया।

चीन क्यों चिढ़ा हुआ है? 

अब भारत अपनी नदियों का पानी रोककर खुद इस्तेमाल करना चाहता है। चीन इससे चिढ़ गया। क्योंकि पाकिस्तान उसका सदाबहार दोस्त है। इसके अलावा ताइवान से भारत की बढ़ती दोस्ती भी ड्रैगन की बौखलाहट का कारण है। 2025 की शुरुआत में ताइवान ने मुंबई में अपना ऑफिस खोला। ये कदम चीन को चुभ गया। चीन का गुस्सा और बढ़ा जब ताइवान के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर हसु सू चिएन भारत आए और बोले की भारत और ताइवान को मिलकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करना चाहिए। मतलब चीन को अब डर लगने लगा है कि भारत ताइवान को खुलकर समर्थन न दे दे।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के नियंत्रण को लेकर पाकिस्तान के नए डराने वाले को ध्वस्त कर दिया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारत के पानी पर चीनी प्रभाव का हवाला देते हुए एक वरिष्ठ पाकिस्तानी सहयोगी के हालिया बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, सरमा ने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी चीन से सिर्फ 30-35 प्रतिशत पानी लेकर आती है। ब्रह्मपुत्र नदी को यह पानी हिमालयन ग्लेशियर पिघलने और बारिश से मिलता है। वहीं नदी का बाकी 65-70 प्रतिशत पानी भारत में बहने वाली नदियों और बारिश से मिलता है। पाकिस्तान कहना है कि चीन ब्रह्मपुत्र देगा तो? वास्तव में ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भारत में ही बढ़ता है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह में मात्र 30-35 प्रतिशत का योगदान देता है। शेष 65–70% जल भारत के भीतर ही उत्पन्न होता है, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड और मेघालय में मूसलाधार मानसूनी वर्षा, प्रमुख सहायक नदियाँ: सुबनसिरी, लोहित, कामेंग, मानस, धनसिरी, जिया-भाराली, कोपिली, मेघालय की खासी, गारो और जयंतिया पहाड़ियों से जल: कृष्णाई, दिगारू, कुलसी आदि सहायक नदियाँ। असम सीएम ने कहा कि ब्रह्मपुत्र भारत में प्रवेश के बाद सशक्त होती है — यह एक भारतीय, वर्षा-पोषित नदी प्रणाली है, न कि किसी एक स्रोत पर निर्भर।

कितना है ब्रह्मपुर नदी का प्रवाह?

इसके साथ ही असम के सीएम ने कहा कि भारत-चीन सीमा (तूतिंग) पर प्रवाह 2,000–3,000 घन मीटर/सेकंड है। गुवाहाटी जैसे असम के मैदानों में प्रवाह: मानसून के समय 15,000–20,000 घन मीटर/सेकंड हो जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश के बाद सशक्त होती है। यह एक भारतीय, बारिश-पोषित नदी प्रणाली है न कि किसी एक स्रोत पर निर्भर है।

ब्रह्मपुत्र एक ही स्रोत पर आधारित नदी नहीं

सीएम ने कहा कि पाकिस्तान, जिसने 74 सालों तक सिंधु जल संधि से बहुत लाभ उठाया। अब घबरा रहा है क्योंकि भारत अपने जल अधिकारों पर संप्रभु निर्णय ले रहा है। सीएम ने अंत में कहा कि आइए पाकिस्तान को याद दिलाएं कि ब्रह्मपुत्र एक ही स्रोत पर आधारित नहीं है। यह हमारे भूगोल, हमारे मानसून और हमारी सभ्यतागत शक्ति से पोषित नदी है।

क्या भारत को भी करनी चाहिए वॉटर डिप्लोमेसी

बहुत सारे रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को भी चीन को उसकी भाषा में जवाब देना चाहिए। जब चीन पाकिस्तान को पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान दे सकता है। जब चीन संयुक्त राष्ट्र में आतंकियों के पक्ष में वीटो लगा सकता है। जब चीन भारत के खिलाफ साइबर जासूसी कर सकता है। तो ताइवान के साथ रिश्तें मजबूत करना ही भारत का जवाब होगा। ताइवान की मीडिया ने हाल ही में भारत के आकाश एयर डिफेंस सिस्टम और एमआरएसकेएम की जमकर तारीफ की और कहा कि भारत अब डिफेंस के मामले में किसी से कम नहीं है। यही नहीं ताइवान दुनिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरर है। 70 फीसदी से ज्यादा चिप्स ताइवान में बनती है। अब ताइवान चाहता है कि भारत में हाईटेक कंपनियां निवेश करें। सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अगर भारत और ताइवान एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कर लें तो दोनों देशों को बड़ा फायदा होगा।