Home आस्था Mahakumbh 2025: निखर-संवर रहे हैं कुंभ नगरी प्रयागराज के द्वादश माधव मंदिर

Mahakumbh 2025: निखर-संवर रहे हैं कुंभ नगरी प्रयागराज के द्वादश माधव मंदिर

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Dwadash Madhav Temple of Kumbh city Prayagraj is getting spruced up.

सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट द्वादश माधव के मंदिरों के कायाकल्प का कार्य समापन की ओर
12 करोड़ से अधिक के बजट से भव्य स्वरूप में हो रहा है द्वादश माधव का सौंदर्यीकरण,प्राचीन संरचनाओं को संरक्षित रखते हुए मंदिरों को मिल रहा है नव्य और भव्य स्वरूप द्वादश माधव के मंदिरों के परिसर की दीवारों में भी पेंट माय सिटी के अंतर्गत चित्रित हो रही है संस्कृति

Prayagraj, 26 October । संगम नगरी प्रयागराज की पहचान उसके धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप से है। योगी सरकार द्वारा 2019 के KUMBH के दिव्य, भव्य और स्वच्छ आयोजन से मिली वैश्विक पहचान ने कुम्भ नगरी प्रयागराज में पर्यटन की अपार संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। प्रयागराज में संगम के अतिरिक्त द्वादश माधव और पंचकोशी परिक्रमा के रूप में धार्मिक पर्यटन की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। पर्यटन विभाग इन्हें तेजी से विकसित कर रहा है।

महाकुंभ के पूर्व द्वादश माधव का कायाकल्प /Rejuvenation of Dwadash Madhav before Mahakumbh
कुंभ नगरी प्रयागराज पौराणिक मंदिरों का शहर है। इसे तीर्थराज भी कहा जाता है। इन मंदिरों में भी द्वादश माधव कुम्भ नगरी की आध्यात्मिक पहचान है। इन द्वादश माधव के मंदिरों के कायाकल्प के लिए योगी सरकार का संकल्प धरातल पर उतर रहा है। यूपी राज्य पर्यटन विभाग इन बारह माधव के मंदिरों को पर्यटन के नक्शे में विशेष स्थान देने में लगा हुआ है। अपर कुंभ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि महाकुंभ के पूर्व द्वादश माधव के मंदिरों का पुनरोद्धार किया जा रहा है। कायाकल्प का कार्य समापन के निकट है और अंतिम चरण पर कार्य चल रहा है। इसका तकरीबन 85 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। कुल 12.34 करोड़ की लागत से इन प्राचीन पौराणिक मंदिरों को नव्य स्वरूप दिया जा रहा है।

प्राचीन संरचनाओं के संरक्षण के साथ सौंदर्यीकरण
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र कुंभ क्षेत्र के अलावा प्रयागराज के प्राचीन मंदिर भी हैं, जिनके साथ यहां की पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है। मंदिरों के इस  समूह में द्वादश माधव मंदिर समूह सर्वप्रथम है जिनकी मूल संरचना को संरक्षित रखते हुए उनका पुनरोद्धार हो रहा है। अपर कुंभ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी का कहना है कि
इन मंदिरों में थीम पर आधारित प्रवेश द्वार,  म्यूरल्स, रेड सैंड स्टोन से बने साइनजेज, सत्संग भवन, बैठने के लिए बेंचेस ,फ्लोरिंग, पेय जल की व्यवस्था, टॉयलेट्स  बाउंड्री वॉल और ग्रीनरी का विकास किया गया है। परिसर में ट्री पेंटिंग के अलावा पेंट माय सिटी अभियान की धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीकों को भी चित्रित किया जाएगा।