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कत्थक की ताल पर गूंजती रही तालियां, किशोर चतुर्वेदी के भजनों की रही धूम

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राष्टीय शिल्प मेले में लोग खूब खरीददारी कर रहे हैं। खरीददारी के साथ ही वह खाने-पीने का भी स्वाद ले रहे हैं। पूरा मेला एक महोत्सव में तब्दील हो गया है। लोगों के आने जाने से शिल्प हाट का महौल गुुलजार हो रहा है। यह मेला 12 दिसंबर तक चलेगा, जहां 22 राज्यों के उत्पाद लगे हुए है। शाम ढलते ही लोग दूधिया रौशनी में कालीन और विशेष कपड़ो से बने अनेक उत्पाद को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इसके अलावा मेले में खुर्जा की क्राकरी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी है। ब्रेकफास्ट से लेकर डिनर तक के बर्तन इस मेले में आए हैं। इसके अलावा जयपुरी रजाईयों को लोग हाथोंहाथ पसंद कर रहे हैं

प्रयागराज। एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत हो रहे राष्टीय शिल्प मेला अपने पूरे सबाब पर है। मुक्ताकाशी मंच पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम चार चांद लगा रहा है। लोग खरीददारी के साथ ही साथ स्वादिष्ठ व्यंजनों का भी आनंद ले रहे है। जैसे-जैसे शाम ढलती जाती है वैसे-वैसे लोगों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रति उत्साह बढता जाता है। शनिवार को मुक्ताकाशी मंच भक्ति के अथाह सागर में डूबा रहा। शनिवार को भजन गायक किशोर चतुर्वेदी एवं स्वाती रिजवी के भजनों की धूम रही। उन्होंने कार्यक्रम की शुरूआत ‘‘अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम से की। इसके बाद ओ रामा ओ, ओ रामा ओ को सुनते ही पूरा पंडाल तालियों से गूंज उठा। वही स्वाती रिजवी ने मीरा के गीत ‘‘ पायें जी मैंने राम रतन धन पायो की प्रस्तुति दी जिससे पूरा प्रागंण भक्ति में सराबोर होकर झूम उठा। ‘‘ आप जिनके करीब होते हैं., एवं सूफी गीत दमा दम मस्त कलंदर की युगल प्रस्तुति पर वहां पर बैठे दर्शक जमकर थिरके। राजकुमार ने तबले पर साथ दिया तो वही अरविंद वर्मा ने आर्गन व कृष्ण स्वरूप ने ऑक्टोपैड बजाकर सबको अपनी ओर आकर्षित किया।
कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति गुजरात का गरबा लोकनृत्य, मणिपुर का पुंग व ढोल चोलम तथा पंजाब का भांगडा, उड़ीसा का गोटी पुआ नृत्य लोगों को खूब भा रहा है।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति शास्त्रीय नृत्य की महफिल सजी इसमें दिल्ली से आए कलाकारों ने प्रिया श्रीनिवासन व राकेश साई बाबू के निर्देशन में प्रस्तुति देकर समां बांध दिया। पारंपरिक नृत्य मयूरभंज छऊ में तलवार और ढाल के उपयोग व कत्थक नृत्य की हर ताल पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजायी। वही सात्विक श्रीयदर्शिनी और निखिल बोरा का ओडिसी नृत्य ने लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया। समापन राजस्थानी लोक गीत ‘‘ केसरिया बालम आओ जी पधारो मारे देश से किया। कार्यक्रम का संचालन आभा श्रीवास्तव ने किया। इस मौके पर केंद्र के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।