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50वीं वर्षगांठ पर याद किया गया आपातकाल, लोकतंत्र बचाने के आंदोलन पर हुआ मंथन

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SIDHARTHNAGAR NEWS: देश में लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर सिद्धार्थनगर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। पूर्व सांसद अष्टभुजा शुक्ला, सांसद जगदम्बिका पाल, और कई विधायकों सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन, हस्ताक्षर अभियान, पौधरोपण और एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इन आयोजनों के माध्यम से आपातकाल के दौरान लोकतंत्र पर हुए हमलों और तत्कालीन परिस्थितियों को याद किया गया। गोष्ठी के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद खलीलाबाद अष्टभुजा शुक्ला ने अपने संबोधन में देश में हुए दो बड़े आंदोलनों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, एक आंदोलन आजादी के लिए था और दूसरा लोकतंत्र को बचाने के लिए।उन्होंने 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए बताया कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री के निर्वाचन को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था, जिसके बाद देश में आपातकाल लागू कर दिया गया। आपातकाल के दौरान सभी मौलिक अधिकार, प्रेस के अधिकार और अन्य सभी अधिकार निलंबित कर दिए गए थे, और लाखों लोगों को जेलों में डाल दिया गया था। उन्होंने संविधान का अक्षरशः पालन करने पर जोर दिया। सांसद डुमरियागंज जगदम्बिका पाल ने आपातकाल की त्रासदी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस दौरान लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया और इनमें से बहुत से लोगों की मृत्यु भी हो गई। उन्होंने बताया कि 25 जून 2025 से 25 जून 2026 तक एक वर्ष तक आपातकाल से संबंधित कार्यक्रम पूरे देश में चलाए जाएंगे ताकि आने वाली पीढ़ियों को इसकी जानकारी मिल सके। उन्होंने 12 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री के लोकसभा चुनाव परिणाम को असंवैधानिक घोषित किए जाने और संविधान के अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति/मौलिक अधिकार) को स्थगित करने का भी उल्लेख किया। उन्होंने संविधान को सर्वोपरि बताया और कहा कि यह दिन आने वाली पीढ़ियों को आपातकाल के बारे में जानकारी देने के लिए एक संकल्प का दिन है। विधायक बांसी जय प्रताप सिंह ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए चलाए गए आंदोलन और आपातकाल के दौरान लाखों लोगों को जेल में डाले जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत के नागरिकों को समानता का अधिकार देने के लिए संविधान लागू किया गया था और संविधान से ही देश चलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा मध्यरात्रि में संविधान की प्रस्तावना को बदलकर आपातकाल लागू कर दिया गया था, और सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों को जेल में डाल दिया गया। उन्होंने जनता के निर्णय को लोकतंत्र में सर्वोपरि बताया और संविधान से छेड़छाड़ न करने की बात कही, इसे देश की आत्मा बताया।
विधायक कपिलवस्तु श्यामधनी राही ने 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा लगाए गए आपातकाल काला कानून की निंदा की, जिसके तहत लोगों को जेल में डाल दिया गया। भाजपा जिलाध्यक्ष कन्हैया पासवान ने अपने स्वागत भाषण में इसे संविधान की हत्या की 50वीं वर्षगांठ बताया, जिसे पूरे देश में संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। वरिष्ठ भाजपा नेता राम जियावन मौर्य ने आपातकाल के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। इस अवसर पर बच्चों के बीच आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। मुख्य विकास अधिकारी बलराम सिंह ने सभी जनप्रतिनिधियों और उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में पूर्व जिलाध्यक्ष रामकुमार कुंवर, लालजी त्रिपाठी, कार्यक्रम संयोजक/जिला महामंत्री विपिन सिंह, सह संयोजक अजय उपाध्याय, जिला उपाध्यक्ष दीपक मौर्य, क्षेत्रीय महामंत्री किसान मोर्चा रामानन्द उर्फ नन्हे, जिला मीडिया प्रभारी निशान्त पाण्डेय, जिला महामंत्री विजयकान्त चतुर्वेदी, वरिष्ठ नेता साधना चौधरी, राजेन्द्र पाण्डेय, शिवनाथ चौधरी, अरविन्द उपाध्याय, विनीत कमलापुरी, अनुराग गगन, पी0डी0 नागेन्द्र मोहन राम त्रिपाठी सहित अन्य संबंधित लोग उपस्थित थे।