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हज़रत शेख़ अफ़ज़ल अब्बासी का 322 वां दो दिवसीय सालाना उर्स का हुआ समापन

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PRAYAGRAJ: हज़रत शेख़ अफ़ज़ल अब्बासी रहमतुल्लाह अलैह का दो दिवसीय 322 वां सालाना उर्स ख़ानक़ाह-ए-अजमली दायरा शाह अजमल में पूरे रूहानी जज़्बे और अकीदत के साथ संपन्न हुआ। दो दिवसीय यह कार्यक्रम सज्जादानशीन सैयद मोहम्मद अरशद ज़की फ़ाख़री की सरपरस्ती में आयोजित किया गया, जिसमें देशभर से अकीदतमंद और नामवर उलमा  बड़ी तादाद में शरीक हुए।

मुख्य अतिथियों में डॉ. सैयद शमीम गौहर (सज्जादानशीन ख़ानक़ाह अबुल ओलैया), क़मरूल हसन सिद्दीक़ी , डॉ. हसीन जीलानी , मौलाना अरमान मियां, मौलाना अली मियां, मौलाना शमशेर आज़म, मौलाना नौशाद आलम, सूफ़ी रिज़वान हामिद, मौलाना दिलकश, फसीह निज़ामी, अनस निज़ामी, गुड्डू निज़ामी, मज़हर निज़ामी, अनीस अहमद, अफ़ज़ाल फ़ाख़री, शहज़ादे, जमील फ़ाख़री, अदीब फ़ाख़री, नूर सफ़ी फ़ाख़री, फ़राज़ फ़ाख़री, अब्दुल्लाह फ़ाख़री, कलीम सिद्दीक़ी, मतलूब, रशद सिद्दीक़ी, मोहम्मद नज्मी, असद, अरहम और सैयद अहमद हाशमी शामिल थे।

उर्स के मौके पर रूहपरवर नात, मंक़बत और प्रेरणादायक तसव्वुफ़ी तक़रीरें पेश की गईं, जिनका केंद्र बिंदु हज़रत शेख़ अफ़ज़ल अब्बासी की ज़िंदगी और तालीमात थीं — जो मोहब्बत, बर्दाश्त और इंसानियत की बे-लौस खिदमत पर आधारित हैं। समापन पर मजार शरीफ पर चादरपोशी की गई और ज़रूरतमंदों, बीमारों तथा पूरी दुनिया में अमन, भाईचारे और मुल्क की सलामती के लिए ख़ास दुआ की गई।

ख़ानक़ाह प्रबंधन की ओर से जायरीनों के ठहरने और लंगर (सामूहिक भोजन) जैसी तमाम सहूलियतों का  इंतेज़ाम कराया गया था जो इस तारीखी रूहानी मरकज़ की रिवायती मेहमाननवाज़ी की एक शानदार मिसाल बनीं।