MIRZAPUR NEWS: छठवीं मोहर्रम को बुधवार की देर शाम शहर के तरकापुर स्थित ईमाम चौक के पास से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के भतीजे और इमाम हसन के यतीम बेटे हजरत कासिम अलैहिस्सलाम की शहादत की याद में मेहंदी का जुलूस निकाला गया। जाऊ सौ बार तुम पर वारी, आज मेंहदी है कासिम तुम्हारी, इन्हीं मातमी धुनों के साथ कर्बला के 13 साल के शहीद हज़रत कासिम को यादकर अज़ादारों के आंसू निकल पड़े।
जुलूस में उमड़ी भारी भीड़
इस जुलूस में भारी संख्या में अकीदतमंद शामिल होते हैं। मेहंदी की जियारत के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। जुलूस में शामिल लोग मन्नतों के चिराग जलाते हैं। मेहंदी का जलूस अपनी पुरानी परंपरा और शान शौकत के साथ निकाला गया। जिसमें शिया मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शिरकत कर नोहा मातम के साथ सीनाजनी की।
हजरत कासिम की शहादत की याद
सातवीं मोहर्रम से ही यजीदीयों ने हुसैनियों पर जुल्म ज्यादा बढ़ा दिए थे। भीषण गर्मी थी इसके बावजूद उन पर पानी बंद कर दिया गया। तीन दिन की भूख-प्यास की शिद्दत में परिवार और साथियों के साथ दी गई कुर्बानियों को याद करके अजादार गम-ए-हुसैन में डूब गए। हजरत कासिम की शहादत का दर्दनाक मंजर को यादकर अजादार बेकरार हो उठे। नम आंखों से अजादारों ने आंसुओं का पुरसा पेश किया।
हजरत कासिम की कुर्बानी
कर्बला की जंग से एक रात पहले हजरत इमाम क़ासिम अलैहिस्सलाम को दुल्हा बनाया गया था। हजरत क़ासिम (अ.स) जब मैदान में जख्मी होकर गिरे तो फौजे यजीद के घोड़ों की टापों से उनके बदन के कई टुकड़े हो गए। हजरत कासिम की लाश के टुकड़े समेट कर खैमे में लाए तो वहां कोहराम बरपा हो गया।
हजरत कासिम अलैहिस्सलाम और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का रिश्ता
हजरत कासिम इमाम हसन के बेटे थे और इमाम हुसैन के भतीजे थे। जब हजरत कासिम ने अपने चचा इमाम हुसैन के पास जाकर मैदान में जाने की इजाजत मांगी तो उन्होंने नहीं दी। इमाम हुसैन बोले तुम मेरे भाई की निशानी हो। इस पर हजरत कासिम को वो बात याद आई जिसमें उनके वालिद इमाम हसन ने कहा था कि जब तुम पर कोई बड़ी मुसीबत आए तो ये ताबीज खोलना जो तुम्हारे बाजू पर बंधा है। इस पर हजरत कासिम ने वो ताबीज खोला तो उसमें इमाम हुसैन को खिताब कर एक खत था। इसमें लिखा था कि भाई कर्बला में कुर्बानी के लिए मेरे बेटे कासिम को इजाजत दे दें। कासिम वो खत चचा की खिदमत में लाए और उन्हें जाने की इजाजत मिल गई। हज़रत कासिम मैदान में गए और शहीद हो गए। जूलूस अपने पुराने रास्ते से होते हुए संकट मोचन, वासलीगंज, साईं बाबा का चौराहा, बाटा का चौराहा, घंटाघर, बसनही बाज़ार, त्रिमोहानी, टेड़ीनीम, बल्ली का अड्डा से होते इमामबाड़ा पर स्थित कर्बला में जाकर समाप्त हुआ। इस मौके पर बी खान, शमशेर खान, सने मौलवी, निजाम खान, सलीम खान, शादाब, बाबू, शाबीर खान, रिजवान, सोनी, इस्लाम राईन,नियाज़ अहमद चिश्ती,निजाम हुसैन, ईरशाद अंसारी, रिजवान अंसारी, आरिफ अली मंसूरी, शहिद हुसैन शमशेर हुसैन व अन्य लोग उपस्थित रहे।
जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद
जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम थे। पुलिस प्रशासन ने जुलूस की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए थे, जिससे जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो सके। इसमें बीच-बीच में पुलिस के जवान तैनात थे, जो जुलूस की निगरानी कर रहे थे।