वाराणसी।कोरोना की तरह ही डेंगू के आंकड़े भी स्वास्थ्य महकमा छिपा रहा है। सरकारी व गैर सरकारी अस्पताल बुखार पीड़ितों से भरा पड़ा हैं। डेंगू के लक्षण हैं, फिर भी महकमा मानने को तैयार नहीं है।वाराणसी मंडल के ज्यादातर जिलों में डेंगू फैला हुआ है। सबसे बड़ा सवाल है कि स्वास्थ्य महकमा शहरवासियों के सेहत से खिलवाड़ क्यों कर रहा है? कोरोना काल में भी ऐसा ही हुआ था।सरकारी व गैर सरकारी पैथालॉजी में खून की जांच कराने और ब्लड बैंकों से प्लेटलेट्स लेने वालों की लाइन लंबी है। जांच कराने वालों में डेंगू के लक्षण हैं, लेकिन स्वास्थ्य महकमे की तरफ से पीड़ितों की संख्या कम करके जारी किया जा रहा है। ब्लड बैंकों से रोजाना 200 से 250 यूनिट प्लेटलेट्स दिए जा रहे हैं, जबकि स्वास्थ्य महकमा रोजाना डेंगू पीड़ितों की संख्या दस से कम ही बता रहा है। महकमे का तर्क है कि केवल एलाइजा पॉजिटिव को ही डेंगू पीड़ित माना जाता है। हालांकि, कोरोना काल में एंटीजन किट से जांच के बाद ही सतर्कता बरती जाती थी। आरटीपीसीआर जांच के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जाती थी,लेकिन डेंगू व चिकनगुनिया के मामले में ऐसा नहीं किया जा रहा।मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में दस बेड, दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में बीस बेड और शास्त्री अस्पताल में बना छह बेड का डेंगू वार्ड फुल है। इनमें हर उम्र के लोग भर्ती हैं। दूसरे वार्डों में भी बुखार पीड़ित भरे हैं। पंजीकरण काउंटर सुबह 8 बजे खुलता है,लेकिन लोगों की लाइन पहले से लग जाती है।