पण्डित संस्कृत भाषा को बनाएं व्यवहार की भाषा,
भट्टभारतीय परंपरा के पुनरुद्धार की दिशा में है सार्थक पहल
शीतलगंगानाथ झा परिसर में आयोजित हो रहा 10 दिवसीय संस्कृत शिक्षण प्रशिक्षण वर्ग
प्रातःकाल एक्सप्रेस प्रयागराज। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय गंगानाथ झा परिसर प्रयागराज एवं संस्कृत भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर से 10 दिवसीय शिक्षण प्रशिक्षण वर्ग गंगानाथ झा परिसर में आज से आयोजित हुआ।उच्च न्यायालय में मुख्य स्थाई अधिवक्ता शीतला प्रसाद गौड़ ने कहा कि यह प्रशिक्षण वर्ग संस्कृत भाषा एवं भारतीय परंपरा के पुनरुद्धार की दिशा में एक सार्थक पहल है। प्रतिभागियों के चेहरे पर उत्साह उनके हृदय में संस्कृत के प्रति समर्पण और भविष्य में अपने दायित्वों के प्रति सजगता स्पष्ट रूप से दिख रही है। संस्कृत भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र संगठन मंत्री प्रमोद पण्डित ने कहा कि यह वर्ग ज्ञान परंपरा एवं संस्कार के समन्वय का अद्भुत उदाहरण है जिसमें संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार शिक्षण की विधियां तथा राष्ट्रीय पुनर्जागरण की भूमिका पर व्यापक विमर्श किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल भाषा नहीं अपितु भारत की आत्मा है। पूर्व अपर महाधिवक्ता शिव कुमार पाल ने विचार व्यक्त किए। संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री और कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सत्य नारायण भट्ट ने संस्कृत के वर्तमान परिदृश्य और शिक्षा व्यवस्था में उसकी उपेक्षा और पुनर्स्थापना के लिए किए जा रहे प्रयासों की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा केवल बोलने या पढ़ने का माध्यम नहीं है बल्कि भारतीय जीवन दृष्टि की संवाहिका है। उन्होंने इस वर्ग को एक संस्कृत आंदोलन के भाग के रूप में देखा और शिक्षकों से आह्वान किया कि सभी लोग भाषा को अपने अपने जीवन में उतारें। पवन एवं दिव्यांश ने सौम्य स्वर में वैदिक मंगलाचरण प्रस्तुत कर वातावरण को वैदिक ऊर्जा से ओतप्रोत कर दिया। इसकी गूंज से पूरा सभागार आध्यात्मिक अनुभूति से भर उठा।।गंगानाथ झा परिसर के निदेशक प्रो ललित कुमार त्रिपाठी ने कहा कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय इस तरह के आयोजनों को सदैव प्रोत्साहन देता है। उन्होंने शिक्षकों की भूमिका को समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण बताया। प्रो त्रिपाठी ने यह भी कहा कि शिक्षण केवल सूचना देना नहीं बल्कि संस्कार देना है और संस्कृत इस कार्य में सर्वाधिक सक्षम है। ध्येय मंत्र का वाचन डॉ प्रकाश झा ने किया। वर्ग के वर्गाधिकारी प्रो कृष्ण कान्त शर्मा ने अध्यक्षीय विचार व्यक्त किए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ कन्हैया लाल ने किया। यह जानकारी श्रीराम पांडेय द्वारा दी गई है।