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रेस्टोरेंट अग्निकांड: 9 साल बाद बॉम्‍बे HC से मिला न्‍याय, परिजनों को BMC देगा 50-50 लाख रुपये

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हाईकोर्ट पीड़ितों के माता-पिता द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लोकायुक्त के फरवरी 2017 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें जांच की मांग करने वाली उनकी शिकायत को खारिज कर दिया गया था। लोकायुक्त ने उनकी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि प्रत्येक को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। परिवारों ने मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की।

कर्तव्यों के निर्वहन में घोर विफलता को उजागर करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय (एचसी) ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को 2015 में कुर्ला के एक होटल में आग लगने से मरने वाले आठ पीड़ितों के परिजनों को मुआवजे के रूप में 50-50 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने कार्रवाई करने में बीएमसी की विफलता के कारण, किनारा होटल में अवैधता बेरोकटोक जारी रही और अंततः आग लग गई और जानमाल का नुकसान हुआ। 16 अक्टूबर 2015 को कुर्ला स्थित होटल सिटी किनारा में आग लगने से आठ लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से सात लोग 18-20 वर्ष की आयु के छात्र थे, तथा आठवां पीड़ित विरार का 31 वर्षीय डिजाइन इंजीनियर था।

हाईकोर्ट पीड़ितों के माता-पिता द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लोकायुक्त के फरवरी 2017 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें जांच की मांग करने वाली उनकी शिकायत को खारिज कर दिया गया था। लोकायुक्त ने उनकी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि प्रत्येक को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। परिवारों ने मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की।

न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की पीठ ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि बीएमसी को पता था कि होटल के पास अग्निशमन विभाग से अपेक्षित अनुमति नहीं है, फिर भी उसने होटल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। अदालत ने कहा कि अगर बीएमसी ने त्वरित कार्रवाई की होती तो आग लगने की घटना निश्चित रूप से नहीं होती। पीठ ने कहा कि बीएमसी द्वारा लापरवाही और वैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन आग का निकटतम कारण है, और नागरिक निकाय को अपने अधिकारियों के कार्यों और चूक के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। इसने कहा कि आठ लोगों की जान जाने से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके परिवारों के जीवन के अधिकार का घोर उल्लंघन हुआ है।