इस वर्ष भी दरियाबाद रानीमंडी करैली रौशनबाग़ आदि मोहल्लों से उठने वाले सभी मातमी जुलूस अपने परम्परागत तरीके से उठेंगे:सैय्यद मोहम्मद अस्करी
PRAYAGRAJ NEWS: करबला के शहीदों की याद में दो माह आठ दिनों तक मनाए जाने वाले ग़म के महीने का आग़ाज़ ब्रहसपतवार को होगया इस्तेक़बाल ए अज़ा का पहला जुलूस दरियाबाद स्थित इमामबाड़ा अरब अली खां से रात्रि को निकाला गया।शहज़ेब असग़र की निज़ामत में हैदर ज़ैदी बिट्टू भाई की सोज़ख्वानी से मजलिस का आग़ाज़ हुआ तो खिताबत ज़ाकिर ए अहलेबैत मौलाना इरफान हैदर ज़ैदी ने मजलिस को खिताब किया।उम्मुल बनीन सोसायटी के महासचिव सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार अन्जुमन हैदरी दरियाबाद , अन्जुमन असग़रिया दरियाबाद ,अन्जुमन मोहाफिज़े अज़ा दरियाबाद ,अन्जुमन हुसैनिया क़दीम दरियाबाद ने नौहा और मातम का नज़राना पेश किया।वहीं रानीमण्डी नवाब नन्हें की कोठी से भी जुलूस इस्तेक़ाबाल ए अज़ा निकाला गया जिसमें शहर की अन्जुमन शब्बीरीया, अन्जुमन अब्बासिया व अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमिया बख्शी बाज़ार ने पुरदर्द नौहा पढ़ा।इसी प्रकार 1 मोहर्रम को रात्रि 10 बजे बड़े घर की मजलिस के उपरान्त अज़ाखाना सैय्यद फरहत अली दरियाबाद में सालाना मजलिस होगी जिसमें रेयाज़ मिर्ज़ा व शुजा मिर्ज़ा की सोज़ख्वानी व ज़ाकिर ए अहलेबैत मौलाना अशरफ़ अब्बास खान साहब मजलिस को खिताब करेंगे।मजलिस के बाद शबीहे ज़ुलजनाह निकाला जाएगा और अन्जुमन हाशिमया नौहा और मातम का नज़राना पेश करेगी।
मोहर्रम में पढ़ें जाने वाले नौहों की मश्क़ (प्रेक्टिस)में लगी मातमी अन्जुमने
खानदाने रिसालत के साथ चौदह सौ साल पहले इराक़ के करबला में घटित घटना की याद में मनाए जाने वाले दो माह और आठ दिनों तक जुलूसों, शब्बेदारी व मजलिसों में पढ़ें जाने वाले नौहों की तय्यारी इन दिनों विभिन्न मातमी अन्जुमने कर रही हैं।शायरों से नौहा लिखवाने और उसे तर्ज़ (धुन लय) देने के बाद मंज़रे आम पर पेश करने को शहर भर की दो दर्जन से अधिक मातमी अन्जुमनो द्वारा अपने नौहाख्वानो व हमनवा साथियों के साथ मश्क़ यानि प्रेक्टिस जारी है।नौहों को अन्तिम रूप देकर आज अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया की ओर से बख्शी बाज़ार स्थित मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन के अज़ाखाना पर मजलिस हुई जिसमें अन्जुमन के सदस्यों को पहली बार नौहे की धुन व लय से अवगत कराया गया। वहीं दरियाबाद स्थित सरकार मीर साहब के अज़ाखाने पर अन्जुमन नक़विया की ओर से मजलिस का आयोजन किया गया जिसमें मौलाना आमिरुर रिज़वी ने मजलिस को खेताब किया तो अन्जुमन नक़विया के नौहाख्वान शबी हसन शारु आदि ने पुरदर्द नौहा पढ़ा। हसन नक़वी, रौनक़ सफीपुरी सहित बड़ु संख्या में उपस्थित रहे।
इमामबाड़ो में रंग रोगन के साथ अलम के पंजों व पटको को दिया गया नया रुप
मोहर्रम के चांद के दीदार के पहले ही सारी तय्यारीयां मुकम्मल कर ली गई।ऐसे में अज़ादारी के पुश्तैनी सिलसिले को क़ायम रखते हुए हर तरफ इमामबाड़ो को साफ सुथरा व रंग रोगन के साथ अलम के पंजों को कलई कराने और साल भर से रखे अलम के पटकों को दुरुस्त करने के साथ तमाम तरहां की तय्यारी के साथ इमामबाड़ों में अलम ताज़िये व ताबूत रख दीए गए।