Home उत्तर प्रदेश मर्ज़ बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की

मर्ज़ बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की

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PRAYAGRAJ NEWS: 1 जुलाई 2025 देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार जीएसटी की आठवीं वर्षगांठ की आप सभी को बधाई। किसी का जन्मदिन हो तो उसकी बधाई देना तो बनता ही है अब वह कितना भी नालायक क्यों ना हो। अपने जन्म के समय जीएसटी बहुत ही सीधा और सभ्य संस्कारी था, पर जैसे जैसे बड़ा होता गया अधिकारियों और सरकारों ने 1400 बदलाव मिलकर किया और इसको नालायक बना दिया।

जैसाकि कहा गया था कि 10वीं पास भी जीएसटी रिटर्न भर सकेगा पर ऐसा नहीं हुआ आज बड़े बड़े प्रोफेशनल को भी रिटर्न बढ़ने पर पसीने छूट रहे हैं। यदि 8 साल पीछे मुड़ कर देखें तो जो दावे किए गए अपने फायदे के लिए सब गलत साबित कर दिए गए।

एक बदलाव को जबतक व्यापारी समझ पाए दूसरा आ गया। GSTR 1, GSTR 2A, GSTR 2B, GSTR 3B, IMS, E way bill, E Invoice हर माह एक निश्चित तिथि तक। जो इतने पालना (कंप्लायंस) करेगा वो व्यापार कब करेगा। व्यापारी के इनपुट टैक्स क्रेडिट को रोककर सरकार खजाना भरती रही और राजस्व की बढ़त दिखा अपनी पीठ थपथपाती रही।

8 साल बाद भी ट्रिब्यूनल बना पाने में नाकाम रही सरकारें व्यापारी के किसी आपात स्थिति के कारण समय पर रिटर्न ना भरने पर ब्याज, पेनल्टी, लेट फीस वसूल रही है। ये ऐसा विरोधाभासी कानून है जिसमें रिटर्न पर देरी में लेट फीस और पेनाल्टी लगाई जाती है।

रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म जैसे बेमतलब के प्रावधान, इसके ताज के कांटे हैं, जिनपर बात करना मुनासिब नहीं समझा जाता है।

एक ही वस्तु का स्वरूप ना बदलने पर भी कुछ एड किए जाने पर अलग अलग कर की दर, समझ से परे है। यह कितना हास्यास्पद होगा कि एक कार जिसको खरीदते समय आप जीएसटी देते हैं उसको कुछ वर्ष इस्तेमाल करके बेचने पर भी जीएसटी। अगर कार बुक वैल्यू से अधिक पर बिक रही है तो वह आयकर का विषय हो सकता है, जीएसटी का नहीं ।

कुतर्क पर उतरे सरकार, उसके समर्थक और अधिकारी कहते हैं कि जीएसटी का भार व्यापारी पर नहीं उपभोक्ता पर होता है तो उपभोक्ता से क्यों नहीं सीधे वसूली की जाती।

इसी जून माह में GSTR 1 में संशोधन करते हुए HSN की B 2 B और B2C के अलग अलग आंकड़े देना है पर पोर्टल पर दोनों आंकड़े अलग अलग प्रदर्शित नहीं हो रहे थे। जीएसटी पोर्टल का धीमा होना या अंतिम तिथि पर क्रैश कर जाना एक आम समस्या है जिसकी अब कही चर्चा भी नहीं होती।

हर राज्य में स्थापित AAR एक ही विषय पर अलग अलग मत प्रदान कर रहा है जिसमें एकरूपता लाने के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर विभाग के पास कोई मेकनिज़्म नहीं है।  इस कारण भी विबाद और नोटिसों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

अब सभी व्यापारी और स्टेक होल्डरों को एक सरल और स्थिर जीएसटी की जरूरत है जिसमें आसान इनपुट टैक्स क्रेडिट, न्यूनतम पालना (कंप्लायंस), रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म से मुक्ति, अधिकारियों का कम से कम दखल, अधिकारियों की जवाबदेही हो ।

महेन्द्र गोयल
सदस्य GST ग्रीवांस रिड्रेसल कमेटी