यमुनापार ,प्रयागराज (के के मिश्रा)।क्षेत्र के धारा गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन माहात्म्य का वर्णन किया गया। कथावाचक दयालु जी महराज ने भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है। जिस प्रकार राजा परीक्षित ने भागवत कथा सुनकर अभय को प्राप्त किया वैसे ही भागवत कथा का श्रवण जीव को अभय बना देती है।
कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परम हंसों की संहिता है। भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाती है। इसके श्रवण से मनुष्य के मन में भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न होता है। यह ग्रंथ, वेद उपनिषद का सार रूपी फल है। यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है। प्रमुख यजमान गीता देवी ने
कथावाचक दयालु जी महराज
भागवत भगवान सहित अन्य देवी देवताओं की आरती की। फिर प्रसाद का वितरण किया गया। शिवाकांत शुक्ला गर्गाचार्य, पंकज शुक्ला, पंकज केसरवानी, राजकुमार केसरवानी, बब्बू राम केसरवानी, राकेश केसरवानी, पवन आदि मौजूद रहे।