Home उत्तर प्रदेश बिछ गई फर्श ए अज़ा-हो रहा ज़िक्र ए शोहदा ए करबोबला

बिछ गई फर्श ए अज़ा-हो रहा ज़िक्र ए शोहदा ए करबोबला

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PRAYAGRAJ NEWS: माहे मोहर्रम की पहली को नवासा ए रसूल हज़रत इमाम हुसैन व अन्य 71 शहीदों की अज़ीम शहादत के चौदह सौ साल गुज़रने के बाद भी आज उस ज़िन्दा ओ जावेद को याद किया जा रहा है जिसने अपने नाना के दीन की अज़मत और बक़ा की खातिर हज को उमरे से बदल कर काबा जैसी पवित्र जगहा को खूंरेजी से महफूज़ कर करबला का रुख किया और अपने पुरे खानवादे और दोस्त अहबाब को राहें हक़ में क़ुरबान कर दिया।उसी अज़ीम कुर्बानी की याद मनाते हुए बख्शी बाज़ार इमामबाड़ा नाज़िर हुसैन में मजलिस को मौलाना आमिरुर रिज़वी ने खिताब करते हुए शहादत का ज़िक्र किया। सिलसिलेवार मजलिस की कड़ी में अबरार हुसैन ज़व्वार हुसैन, खुरशैद साहब का हाथा, मतलूब हुसैन, ताहिरा हाऊस में मुख्तलिफ ज़ाकिरों ने मजलिस को खिताब किया व चक ज़ीरो रोड स्थित इमामबाड़ा डिप्यूटी ज़ाहिद हुसैन में दस दिवसीय अशरे की पहली मजलिस को मौलाना रज़ी हैदर रिज़वी ने खिताब किया। इमामबाड़ा सैय्यद मियां घंटा घर की मजलिस को ज़ाकिर ए अहलेबैत रज़ा अब्बास जैदी ने खिताब किया तो रज़ा इस्माइल सफवी ने मर्सिया पढ़ी।बख्शी बाज़ार से भोर में शुरु हुआ मजलिस का दौर छोटी चक, गुड़मण्डी, इमामबाड़ा वज़ीर जान, मीरगंज, घंटाघर, सब्ज़ी मण्डी, पत्थरगली, रानीमंडी, करैली, करैलाबाग़, शाहगंज, दरियाबाद, रौशनबाग़ सहित अन्य मोहल्लों में देर रात तक चलता रहा।वहीं दरियाबाद अज़ाखाना सैय्यद फरहत अली में पहली मोहर्रम की सालाना मजलिस हुई जिसमें रेयाज़ मिर्ज़ा व शुजा मिर्ज़ा ने पुरदर्द मर्सिया पढ़ा तो ज़ाकिरे अहलेबैत अशरफ अब्बास खां ने मजलिस को खिताब किया।बाद मजलिस इमाम हुसैन के वफादार घोड़े ज़ुलजनाह की शबीह निकाली गई।जिस पर लोगों ने अक़ीदत के फूल चढ़ा कर मन्नत व मुरादें मांगीं। अन्जुमन हाशिमया दरियाबाद के नौहाख्वानो ज़िया अब्बास अर्शी, यासिर सिबतैन आदि ने डॉ क़मर आब्दी व आमिरुर रिज़वी का लिखा ग़मगीन नौहा पढ़ा। वहीं दरियाबाद के पार्षद फसाहत हुसैन के अज़ाखाने पर हुई माहे मोहर्रम की पहली मजलिस को शहीर रालवी ने खिताब किया तो हैदर ज़ैदी बिट्टू ने मर्सिया पढ़ी।पेशख्वानी के फराएज़ बाबर ज़हीर व अलमदार दरियाबादी ने अन्जाम दिए।नजीब इलाहाबादी ने संचालन किया तो अन्जुमन हुसैनिया क़दीम के नौहाख्वान शाह बहादुर व अन्य नौहाख्वानों ने पुरदर्द नौहा पढ़ा।बाद मजलिस मन्नती दुलदुल भी निकाला गया जिस पर अक़ीदतमंदों ने अक़ीदत के फूल चढ़ाए तथा मन्नत व मुरादें मांगी। शहर भर कि विभिन्न मजलिसों में ताहिर मलिक, हसन नक़वी, शौज़फ मलिक, अकबर अली, मोहम्मद अहमद गुड्डू, नय्यर आब्दी , ज़ुलक़रनैन आब्दी, अहसन भाई, ज़फ़र रज़ा, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, अलमास हसन, ज़ामिन हसन, अरशद नक़वी, सफी नक़वी आदि शामिल रहे।