SIDHARTH NAGAR: गर्भपात से संबंधित बातचीत का वीडियो वायरल होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर. के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सिद्धार्थनगर द्वारा गठित जांच टीम ने सोमवार को बढ़नी कस्बे में एक निजी अस्पताल को सील कर दिया, जबकि दूसरे को नोटिस जारी किया है। आखिर क्यों भोले-भाले मरीजों का शोषण जगह-जगह बिना पंजीकरण के चल रहे इन निजी अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा किया जाता है?
डॉ. मुकेश का क्लिनिक सील: विरोधाभासी बयान और नियमों की अनदेखी
उप जिलाधिकारी राहुल सिंह के नेतृत्व में चिकित्सा विभाग की टीम, जिसमें नोडल अधिकारी (नैदानिक स्थापना) डॉ. प्रमोद कुमार और प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अविनाश चौधरी शामिल थे, सबसे पहले पचपेड़वा रोड स्थित डॉ. मुकेश क्लिनिक पर पहुंची। जांच के दौरान यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि क्लिनिक का कोई पंजीकरण नहीं था। वायरल वीडियो के संबंध में पूछताछ करने पर डॉ. मुकेश, जो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इटवा में भी तैनात हैं, ने शुरू में मौखिक रूप से स्वीकार किया कि उनके पास एक व्यक्ति आया था जिसने अपने मरीज की गंभीर स्थिति बताई। डॉ. मुकेश के अनुसार, उन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि वह स्वयं गर्भपात नहीं करते, लेकिन करवा देंगे दूसरे जगह। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वह मरीजों को देखते हैं और ऑपरेशन के लिए दूसरे डॉक्टरों के पास भेजते हैं। हालांकि, बाद में उन्होंने लिखित रूप से अपने इन बयानों से इनकार कर दिया। नोडल अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में इन दोनों विरोधाभासी बातों की पुष्टि की। इसके बाद, जांच टीम ने उप जिलाधिकारी राहुल सिंह की उपस्थिति में क्लिनिक को तत्काल सील कर दिया।
आमिना हेल्थ सेंटर को नोटिस: ऑपरेशन के मरीज, गायब डॉक्टर और आयुष डॉक्टर की अवैध प्रैक्टिस
इसके बाद, जांच टीम पचपेड़वा रोड पर स्थित आमिना हेल्थ सेंटर पहुंची। यहां अस्पताल के पंजीकरण और वायरल वीडियो के संबंध में गहन जांच की गई। अस्पताल में मौजूद डॉ. अलीम ने वायरल वीडियो में गर्भपात करने से इनकार किया। जांच के दौरान, आमिना हेल्थ सेंटर पर कई ऐसे मरीज भर्ती मिले, जिनका ऑपरेशन हुआ था। लेकिन मौके पर पंजीकरण आवेदन फॉर्म में पूर्णकालिक बताई गई डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ में से कोई भी उपस्थित नहीं मिला। इस पर कार्रवाई करते हुए, जांच टीम ने अस्पताल संचालक को नोटिस जारी कर 18 जून दोपहर 12 बजे तक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण जवाब देने का निर्देश दिया है।
आमिना हेल्थ सेंटर में जिन मरीजों का ऑपरेशन हुआ था, उनकी देखरेख आयुष डॉक्टर डॉ. अलीम द्वारा किए जाने की बात स्वीकारने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इसे एक गंभीर समस्या बताया। टीम ने स्पष्ट किया कि आयुष डॉक्टर केवल कुछ बुनियादी जरूरत की दवाएं ही लिख सकता है, लेकिन उसे ऑपरेशन से संबंधित दवाएं लिखने या इंजेक्टेबल दवाएं देने का अधिकार नहीं है। हैरानी की बात यह थी कि उन्हीं के चेंबर में एक महिला मरीज, जिसका ऑपरेशन हुआ था, को डॉ. अलीम द्वारा ग्लूकोज जैसी इंजेक्टेबल दवाएं दी जा रही थीं। इससे संबंधित सवाल पूछे जाने पर डॉ. अलीम कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इस स्थिति को देखते हुए, नोडल अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने इन मरीजों की देखभाल के लिए अपने उच्च अधिकारियों से बात की, लेकिन उन्होंने मरीजों को अन्य जगह स्थानांतरित करने में असमर्थता जाहिर करते हुए बताया कि ऑपरेशन हुआ है, और इधर-उधर शिफ्ट करने के दौरान मरीज को दिक्कत न हो, इस कारण उन्होंने असमर्थता जाहिर की।
गर्भपात कानूनन कितना सही?
जांच टीम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि मौके पर अस्पतालों की जांच की गई है, जिसके बाद डॉ. मुकेश कुमार के क्लिनिक को सील कर दिया गया है और आमिना हेल्थ सेंटर को नोटिस जारी किया गया है। एसडीएम राहुल सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा जांच की गई है और जो भी कमियां मिलेंगी, उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
यह घटना यह सवाल खड़ा करती है कि गर्भपात से संबंधित वायरल वीडियो में इन डॉक्टरों द्वारा इस प्रकार का बयान देना कितना सही है, जबकि गर्भपात कानूनी रूप से केवल कुछ विशेष परिस्थितियों और पंजीकृत चिकित्सा संस्थानों में ही किया जा सकता है, जिसके लिए सख्त दिशानिर्देश और प्रक्रियाएं निर्धारित हैं। बिना पंजीकरण के चल रहे इन निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज और ऑपरेशन करना, और आयुष डॉक्टरों द्वारा गंभीर सर्जरी के बाद की देखभाल करना, कानूनी और नैतिक रूप से पूरी तरह से गलत है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इन मामलों में आगे क्या कार्रवाई की जाती है और क्या ऐसे अवैध मेडिकल प्रैक्टिस पर लगाम लगाई जा सकेगी।