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तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद के मिलावट के पीछे ईसाई मिशनरियों की बड़ी साजिश

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  • जगद्गुरु स्वामी नारायणाचार्य शांडिल्य जी महराज ने कहा
  • हिंदुओं के मठ, मंदिरो, बड़े धार्मिक स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करें
  • अगर मंदिर सरकारी नियंत्रण में है तो मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजाघर भी सरकारी नियंत्रण में हो : स्वामी शांडिल्य जी महराज
प्रयागराज। आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद में मिलावट का मामला सामने आने के बाद साधु – संत लगातार कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। श्रृंगवेरपुर पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी श्री नारायणाचार्य शांडिल्य जी महाराज ने तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद के लड्डू में चर्बी मिलाए जाने को ईसाई मिशनरियों की बड़ी साजिश आज करार दिया है।
उन्होंने कहा है कि दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिर में प्रसाद में मिलावट का मामला सामने आने से हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं लेकिन दुर्भाग्य यह है कि अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के लिए आंध्र प्रदेश की तत्कालीन जगन मोहन रेड्डी की सरकार इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है।
जगद्गुरु स्वामी शांडिल्य जी महाराज ने केंद्र की पीएम मोदी सरकार से मांगा  है कि हिंदुओं के मठ, मंदिरों और बड़े धार्मिक स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रसाद बनाने का जिम्मा ऐसे लोगों को मिलना चाहिए जो सनातनी हों और उसकी शुद्धता और पवित्रता का ख्याल रख सकते हों।
 जगद्गुरु स्वामी नारायणाचार्य शांडिल्य जी महाराज ने कहा है कि अलग – अलग धर्म के लिए अलग – अलग नियम नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा है कि अगर मंदिर सरकारी नियंत्रण में है तो मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर भी सरकारी नियंत्रण में होने चाहिए। उन्होंने कहा है कि प्रसाद में चर्बी मिलाया जाना ईसाई मिशनरियों का बड़ा षड्यंत्र है। जगद्गुरु स्वामी शांडिल्य जी महाराज ने पीएम मोदी से मांग की है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के मामले में सख्त कार्रवाई हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले। इसके साथ ही उन्होंने यूपी के मंदिरों में भी प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से प्रसाद की जांच कराए जाने की मांग की है,ताकि कोई भी सनातनियों के आस्था को ठेस न पहुंचा सके।