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गलाघोंटू रोग से पशुओं को बचाएं पशुपालक

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JHANSI NEWS: रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पशुओं को गलाघोंटू रोग से बचान की सलाह दी है। डॉ. विनोद कुमार सिंह और डॉ. सुष्मिता नौटियाल ने बताया कि बरसात के मौसम की शुरुआत के साथ ही पशुपालकों को अपने पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि इस समय गलाघोंटू (हीमोरेजिक सेप्टिसीमिया) नामक संक्रामक रोग तेजी से फैल सकता है। यह रोग विशेष रूप से गाय, बैल और भैंस जैसे पशुओं को प्रभावित करता है। यह रोग अचानक होता है और समय पर इलाज न होने पर पशु की मृत्यु कुछ ही घंटों में हो सकती है। इसके प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, गर्दन व चेहरे की सूजन, सांस लेने में कठिनाई, चारा-पानी छोड़ देना, और मुंह-नाक से झाग निकलना शामिल हैं। बरसात के मौसम में नमीं और गंदगी इस रोग के प्रसार को बढ़ावा देती है, इसलिए रोकथाम अत्यंत आवश्यक है। इस रोग से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है समय पर टीकाकरण। सभी पशुपालकों से अनुरोध है कि वे बरसात शुरू होने से पहले अपने पशुओं को हीमोरेजिक सेप्टिसीमिया का टीका अवश्य लगवाएं। आमतौर पर गलाघोंटू का टीका वर्ष में एक बार लगाया जाता है, जो रोग से प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही पशुओं को साफ और सूखी जगह पर रखें, उनके चारे और पानी की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, और किसी भी लक्षण के दिखते ही निकटतम पशु चिकित्सक से संपर्क करें। बुंदेलखंड क्षेत्र में यह बीमारी हर वर्ष बरसात में पशुधन को भारी नुकसान पहुंचाती है, इसलिए समय रहते सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है।