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किसानों को सुरक्षा कवच मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना से 5 लाख की आर्थिक सहायता

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SIDHARTH NAGAR: हमारा अन्नदाता किसान, जो दिन-रात खेतों में पसीना बहाकर देश का पेट भरता है, उसे प्रकृति की मार और दुर्घटनाओं का भी सामना करना पड़ता है। गर्मी, सर्दी या बरसात, हर मौसम में जीतोड़ मेहनत करने वाले किसान कभी-कभी आकाशीय बिजली, ठंड या अन्य किसी दुर्घटना का शिकार होकर असमय काल के गाल में समा जाते हैं। ऐसे में परिवार के कमाऊ सदस्य की आकस्मिक मृत्यु या दिव्यांगता उस परिवार पर दुखों का पहाड़ तोड़ देती है। इसी समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना’ की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, यदि किसी किसान की असमय मृत्यु या दिव्यांगता होती है, तो उसके परिवार को 5 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत वर्ष 2019 में की गई थी और इसका संचालन जिले के जिलाधिकारी द्वारा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत 14 सितंबर 2019 के बाद किसी भी दुर्घटना में हुई मृत्यु पर किसान परिवारों को लाभ दिया जा रहा है। कृषि ही किसानों की आजीविका का एकमात्र साधन होती है, और यदि परिवार का कमाऊ सदस्य किसान दुर्घटनावश अपनी जान गंवा देता है या शारीरिक रूप से अक्षम हो जाता है, तो परिवार के समक्ष जीवन यापन का संकट खड़ा हो जाता है। इसी स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने यह योजना शुरू की है। योजना के तहत, यदि किसान की दुर्घटनावश असमय मृत्यु होती है तो 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है, और यदि किसान विकलांग होता है तो उसे भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना उत्तर प्रदेश के सभी किसानों को कवर करती है।

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना में विभिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं में मृत्यु या गंभीर रूप से घायल होने पर लाभ मिलता है। इनमें सांप या अन्य जीव-जंतु व जानवर के काटने, मारने व आक्रमण की स्थिति, आग लगने, बाढ़, बिजली गिरने, करंट लगने, हत्या, आतंकवादी हमला, लूट, डकैती, मारपीट, समुद्र, नदी, झील, तालाब, पोखर व कुएं में डूबने, रेल, सड़क और हवाई यात्रा के दौरान होने वाली दुर्घटनाएं, आंधी-तूफान, पेड़ गिरने, दबने व मकान गिरने से होने वाली क्षति, आकाश से बिजली गिरने, और सीवर चैंबर में गिरने से होने वाली दुर्घटनाएं शामिल हैं। इस योजना का लाभ केवल उन्हीं किसानों को मिलेगा जो उत्तर प्रदेश के स्थायी निवासी हैं और जिनकी आयु 18 से 70 वर्ष के मध्य है। भूलेख खतौनी में दर्ज खातेदार/सह-खातेदार, पट्टे से कृषि भूमि प्राप्त करने वाले भूमिहीन व्यक्ति या बटाईदार जो कृषि कार्य करते हों, उनकी दुर्घटनावश मृत्यु अथवा विकलांगता की स्थिति में उनके माता-पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री, पुत्रवधू, पौत्र-पौत्री जिनकी आय का जरिया कृषि भूमि से चलता हो, वे पात्र होंगे। ऐसे किसान जिनके पास खुद की जमीन नहीं है, लेकिन वे बटाई या पट्टे की भूमि पर खेती करते हैं, उन्हें या उनके आश्रितों को भी योजना का लाभ दिया जाता है।आवेदन के लिए प्रमुख दस्तावेजों में तहसील से प्राप्त खतौनी की प्रमाणित प्रति, पट्टेदार हेतु पट्टे की प्रमाणित प्रति, बटाईदार हेतु प्रमाण पत्र, मृतक/विकलांग व्यक्ति की आयु का प्रमाण, मृत्यु प्रमाण पत्र, निवास का प्रमाण, पोस्टमार्टम रिपोर्ट या पंचनामा (जहां पोस्टमार्टम संभव न हो), दिव्यांगता की स्थिति में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड, और बैंक पासबुक की छायाप्रति संलग्न करनी होती है। प्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा इस योजना के सफल संचालन हेतु एक वेबपोर्टल/सॉफ्टवेयर भी तैयार किया गया है, जो आम जनता के लिए क्रियाशील है। उत्तर प्रदेश में इस योजना के शुरू होने से अब तक 1,01,237 किसानों को 4252.50 करोड़ रुपये का वितरण कर लाभान्वित किया गया है।