PRATAPGARH: जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार ने एज़ोटोबैक्टर नामक जीवाणु आधारित जैविक उर्वरक को किसानों के लिए वरदान बताया गया है। रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करें और प्राकृतिक तथा जैविक उपायों को अपनाकर अपनी खेती को टिकाऊ बनाएं। यह प्राकृतिक तकनीक न केवल फसलों की पैदावार 15-20 प्रतिशत तक बढ़ाती है, बल्कि मृदा स्वास्थ्य में सुधार एवं पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एजेंटोंबैक्टर में उपस्थित लाभकारी जीवाणु (जैसे एजोटोबैक्टर) नाइट्रोजन स्थिरीकरण, फॉस्फेट घुलनशीलता तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने में सहायक होते हैं। यह जैव उर्वरक रासायनिक खादों के सुरक्षित विकल्प के रूप में कार्य करता है और दीर्घकालीन रूप से मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखता है। एज़ोटोबैक्टर एक लाभकारी मृदा जीवाणु है जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पौधों के लिए उपयोगी रूप में परिवर्तित करता है (नाइट्रोजन स्थिरीकरण)। इसके अतिरिक्त, यह पौधों की जड़ों के विकास को उत्तेजित करने वाले हार्मोन्स (ऑक्सिन, जिबरेलिन) स्रावित करता है। फॉस्फेट घुलनशीलता बढ़ाकर पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है एवं हानिकारक रोगजनकों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है।
इसके प्रमुख लाभ के सम्बन्ध में बताया गया है कि रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरकों (जैसे यूरिया) की आवश्यकता 20-25 प्रतिशत तक कम हो जाती है। गेहूँ, धान, दलहन, सब्जियों एवं बागवानी फसलों में उत्पादन में स्पष्ट वृद्धि। मिट्टी की जैविक कार्बन सामग्री एवं सूक्ष्मजीव विविधता में सुधार तथा जल प्रदूषण रोकने एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने में सहायक है। इसके प्रयोग के सम्बन्ध में बताया गया है कि बीज उपचार के लिये 1 किग्रा बीज के लिए 15-20 ग्राम एजेटोबैक्टर कल्चर लें। इसे गाढ़े गुड़ के घोल या चिपकने वाले के साथ मिलाएं। बीजों को इस मिश्रण से अच्छे से लपेटें। बीज को छाया में सुखा लें और तुरंत बोवाई करें। जड़ डिप उपचार हेतु रोपाई वाली फसलों जैसे धान, टमाटर, गोभी आदि के लिए, 5 से 10 ग्राम एजेटोबैक्टर प्रति लीटर पानी में मिलाएं। पौधों की जड़ों को इस घोल में 15-30 मिनट तक डुबोकर रखें। फिर रोपाई करें। 1 एकड़ भूमि के लिए 4-5 किलो एजेटोबैक्टर कल्चर को 20-25 किलो गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट में मिलाएं। बुवाई से पहले खेत में छिड़काव करें और मिट्टी में मिलाएं।