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ईश्वर को ढूंढने की आवश्यकता नहीं कण कण में विराजमान- ज्ञानवी राम सुग्रीव मित्रता लंका दहन रावण वध कथा का वर्णन सुन श्रोता हुए भाव विभोर मुसाफिरखाना अमेठी

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ईश्वर को ढूंढने की आवश्यकता नहीं कण कण में व्याप्त हैं हमारे और आपके शरीर रूपी मंदिर में भी भगवान विराजमान है उक्त उद्गार वृंदावन धाम से पधारी कथा वाचक ज्ञानवी जी ने क्षेत्र के रामनगर उर्फ़ नयाकोट गांव के शंकर जी के शिवाला पर आयोजित तीन दिवसीय राम कथा के अंतिम दिन कही कथा के मुख्य यजमान विजय विक्रम सिंह उर्फ जज्जू रहे। आयोजित राम कथा के अंतिम दिन कथा व्यास ज्ञानवी जी ने राम सुग्रीव मित्रता लंका दहन रावण वध कथा का वर्णन करते हुए कहा कि हनुमान जी प्रभु श्रीराम को सुग्रीव से मित्रता कराते हैं सुग्रीव प्रभु राम को अपने भाई बाली के बारे में बताता है जिसे भगवान राम बाली का वध करने की बात करते हैं बाली और सुग्रीव में भीषण युद्ध के दौरान दोनों भाइयों को एक जैसा देख प्रभु राम अचंभित हो जाते हैं भगवान श्री राम सुग्रीव को पुनः युद्ध करने के लिए भेजते हैं और बाली का वध कर देते हैं बाली वध के उपरांत भगवान राम हनुमान को लंका में माता सीता की कुशलता लेने भेजते हैं जहां पर हनुमान अशोक वाटिका का तहस-नहस कर रावण के पुत्र अक्षय का बध कर देते हैं रावण अपने पुत्र मेघनाथ को भेजता है मेघनाथ हनुमान में भीषण युद्ध होता है मेघनाथ हनुमान को पड़कर दरबार में लेकर आता है जहां रावण हनुमान के बीच संवाद होता है रावण क्रोधित होकर अपनी राक्षसी सेना से हनुमान की पूछ में आग लगाने का आदेश देता है हनुमान जी के पूछ में आग लगने के बाद हनुमान जी लंका को जलाकर स्वाहा कर देते हैं इसी क्रम में कथा व्यास ने प्रभु राम और रावण के बीच भीषण युद्ध एवं रावण बध प्रभु श्री राम का राजतिलक का विस्तृत वर्णन किया कथा का वर्णन सुन श्रोता हुए भाव विभोर कथा समापन के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजित किया गया जिसमें क्षेत्र के आसपास के सैकड़ो लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया है इस दौरान भारत सिंह, संतोष सिंह, अरविंद तिवारी, राजू श्रीवास्तव, विश्वम्भर नाथ तिवारी, आनंद सिंह, सागर तिवारी, सहित बड़ी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे ।