PRAYAGRAJ इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं सीनियर अधिवक्ता अनिल तिवारी ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद का आग्रह स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति द्वारा प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा धन के स्रोत के बारे में किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण 3 देने में विफल रहे और कदाचार के आरोप इतने गम्भीर हैं कि उन पर महाभियोग चलाया जाना उचित प्रतीत होता है।तत्पश्चात संसदीय कार्य मंत्री, किरेन रिजिजू संसद के मानसून सत्र से पहले इस प्रकरण पर सभी दलों से बात करने के बाद न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के विरूद्ध महाभियोग प्रस्ताव पेश किये जाने की बात कही गयी। जैसा कि सर्वविदित है कि न्यायाधीश (जॉच) अधिनियम 1968 और भारतीय संविधान दोनों ही उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति को बर्खास्त करने की प्रक्रिया को विनियमित करते हैं। संविधान के अनुसार किसी न्यायाधीश को केवल संसद के दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत निष्कासन प्रस्ताव द्वारा और प्रदर्शित कदाचार या अक्षमता के आधार पर बर्खास्त किया जा सकता है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद के इस संघर्ष को केन्द्र सरकार द्वारा गम्भीरतापूर्वक संज्ञान लिया गया। सरकार के इस फैसले से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों में काफी हर्ष का माहौल व्याप्त है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद हमेशा से भ्रष्टाचार के विरूद्ध अपनी आवाज उठाता रहा है और भविष्य में भी इस प्रकार की क्रिया-कलापों को बढ़ावा देने वालों के विरूद्ध अपनी आवाज उठाता रहेगा।
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