Home मतलब की बात अधेड़ावस्था :” पचास की उम्र के बाद का सुखी जीवन”

अधेड़ावस्था :” पचास की उम्र के बाद का सुखी जीवन”

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जीवन का प्रतिफल : कुछ उम्र के खट्टे मीठे अनुभव की समझ तो कुछ अपने अच्छे कर्मों से संचित मान प्रतिष्ठा उस वक्त का तकाजा, तो कुछ अपनी समझदारी से संजोए निश्चिंतता। ऐसे ही तमाम पहलू है जो पचास की उम्र के बाद जीने का संबल बनते हैं और जीवन खुशहाल हो जाता है।
किसी भी व्यक्ति की उम्र के 5 दशक पूरे होने के बाद उसके जीवन में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं पचास साल की उम्र के बाद व्यक्ति की शारीरिक क्षमताएं निरंतर क्षीण होने लगती है। पचास वर्ष की उम्र में अधेड़ावस्था की शुरुआत होती है जहांँ से व्यक्ति के जीवन में कई तरह की कठिनाइयांँ जन्म लेने लगती है यह जीवन का वह मोड़ है जहांँ व्यक्ति को अब तक किए कार्यों प्रयत्नों और संघर्षों का प्रतिफल मिलना शुरू होता है। पचास साल की उम्र तक व्यक्ति की समाज में एक पहचान और प्रतिष्ठा बन जाती है। यदि आप चाहते हैं कि आपकी वृद्धावस्था स्वाभिमान और सम्मान के साथ बीते तो आपको अपनी उम्र के पचास वर्ष में दाखिल होने से पहले इसके लिए कुछ विशेष प्रबंध कर लेने चाहिए। अक्सर एक उम्र के बाद जब बेटा और बहू से आपकी अनबन होने लगती है और वह अलग घर बसाने की सोचने लगते हैं तो ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को बहुत ही दुख होता है जिन बेटों की पढ़ाई और शादी के लिए सारी जमा पूंजी खर्च कर देते हैं उन्हीं बेटो के द्वारा उन्हें जीवन की संध्या में अकेले और असहाय छोड़ जाते हैं। जो अपने यौवन काल में अपने लिए कोई अतिरिक्त धनराशि भी बचाकर नहीं रखते और रिटायर होने के बाद अपनी आजीविका के लिए एक छोटी सी दुकान खोलनी पड़ती है जिसमें कोई जमा राशि जमा करने का जरिया नहीं होता है यदि आप अपनी जवानी के दिनों में कुछ धनराशि अपने लिए सहेज कर रखेंगे तो आपको वृद्धावस्था में आने वाले किसी भी संकट का सामना करने की शक्ति मिलती रहेगी। यदि बुढ़ापे में आपके बच्चे धर्म का पालन और आप का खर्च उठाने में कतराने लगे तो आपकी जवानी में जमा की गई पूंजी ही आपका सहारा बनतीं है। यदि आप एक उम्र के बाद शांति और सुकून हो सम्मान के साथ जीना चाहते हैं तो अपने रोजगार के लिए अपनी रूचि और क्षमता के अनुसार एक निश्चित क्षेत्र का चयन तीस की उम्र तक कर ले, फिर पूरी मेहनत और लगन से उसमें काम करें तो आपको सफलता मिलनी तय है। आप अपने कैरियर को समय रहते व्यवस्थित कर ले ताकि पचास की उम्र के बाद आप आजीविका के लिए अनिश्चितता की स्थिति में ना रहे। पचास की उम्र व्यक्ति के लिए रोजगार के नए प्रयोग करने या नए काम धंधे सीखने के लिए नहीं बल्कि अब तक के अनुभव का लाभ उठाने और समाज में प्रतिष्ठा का जीवन जीने के लिए होती है। आप कैसे कपड़े पहनते हैं? कैसे बोलते हैं? लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? इन सब बातों से समाज में आपके व्यक्तित्व की पहचान बनती है। पचास वर्ष में दाखिल होने से पूर्व आपको अपने व्यक्तित्व को अपनी सुविधा और पसंद के हिसाब से व्यवस्थित कर लेना चाहिए। यदि आप पचास की उम्र में ऐसा करते हैं तो ना केवल उपहास का पात्र बनेंगे बल्कि आप अपरिपक्वता का भी परिचय देंगे। कोई व्यक्ति यदि अपने जीवन की संध्या में अपने व्यक्तित्व को बदलने की चेष्टा करेगा तो यह बचकाना और हास्यास्पद ही लगेगा। अपनी क्षमता के अनुसार ही अपनी पसंद को निश्चित कर लेनी चाहिए अपनी आयु के छठवें दशक में प्रवेश करने के बाद आपको अपनी शक्ति और प्रतिभा को निखार लेना चाहिए। आप अपने संबंधों को मजबूत कीजिए जब तक आपका कारोबार अच्छा चलता रहेगा तब तक आप की पूछ होगी लेकिन यदि पचास की उम्र के बाद अगर सेवानिवृत्त होने के बाद आपकी बेटे, भाई और दूसरे सारे रिश्तेदार आपकी मदद करने के लिए आगे नहीं आए तो आप कहां जाएंगे? ऐसी अवांछित स्थिति का सामना करने के लिए आपको युवावस्था में ही कुछ ऐसे लोगों के साथ संबंध बनाकर रखने चाहिए जो आपका विश्वास करें, आपकी भलाई चाहे तथा जिनसे आप बुरे वक्त में आर्थिक सहायता की भी उम्मीद कर सके। संबंधों की यह पूंजी रातों रात में ही कमाए जा सकते हैं। आप अपने अच्छे व्यवहार प्रमाणित आचरण और सहयोगी स्वभाव के दम पर ऐसे अनेक लोगों के साथ अपने घनिष्ठ संबंध विकसित कर सकते हैं।
यदि आप शालीन है अपनी जुबान पर नियंत्रण रखते हैं तो आपको किसी भी क्षेत्र में सम्मान और सफलता मिल सकती है ज्यादा बोलने की आदत आपको ऐसे व्यक्ति के रूप में पहचान बनाती है जिसे लोग फिर कतराने लगते हैं। अपने व्यापारिक योजनाओं और उपलब्धियों का प्रचार मत कीजिए चुप रहना आपको एक गंभीर और बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करता है। व्यापारिक जीवन में रहस्य पचाने की प्रतिष्ठा अफवाह फैलाकर कमाई सस्ती लोकप्रियता से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होती है उम्र की पचासवी सीढ़ी पर कदम रखने से पहले आपको यह सारी तैयारियां अवश्य कर लेनी चाहिए। पचास वर्षों से पहले असीम विश्वसनीयता आपको जीवन भर लोगों से आदर और सम्मान दिलाएगी। यदि आपने एक उम्र के बाद ईमानदारी विश्वसनीयता और वफादारी की साख नही बनाये है तो आगे चलकर आप समाज में अलग-थलग पड़ जाएंगे। इसलिए हर हाल में अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए अपने भावी जीवन की तमाम खुशियों का आधार बिंदु तय कीजिए।
पूजा गुप्ता
मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)