PRATAPGARH NEWS: प्रदेश सरकार ने जनपद में विकास कार्यों में पारदर्शिता लाने एवम् भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए मनरेगा योजना में लोकपाल के पद पर प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता समाज शेखर की नियुक्ति कर दिया इस के बाद लोगों को यह आशा थी कि जिले में भ्रष्टाचार विशेषकर मनरेगा योजना में व्याप्त अनियमितता एवम् डुप्लिकेसी को रोका जा सकेगा लेकिन नतीज़ा कुछ और ही आ रहा है। आज वास्तविकता यह है कि लोकपाल मनरेगा को जिले के मोटी खाल वाले अधिकारी गंभीरता से लेते ही नहीं है। जनता द्वारा प्राप्त शिकायतों के संबंध में मनरेगा लोकपाल द्वारा ज़ारी आधिकारिक पत्र पर कोई कार्यवाई तो छोड़िए पत्र का जवाब देना भी ज़रूरी नहीं समझते हैं जिले के मनरेगा उपयुक्त । हालात तो यहां तक हैं कि लोकपाल पत्र जारी करने के बाद अनुस्मारक पर अनुस्मारक भेजते हैं लेकिन मनरेगा उपयुक्त के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है। आपको बताते चलें कि मनरेगा लोकपाल समाज शेखर के कार्यालय से ग्राम पंचायत पूरेलाल द्वारा मनरेगा में की गई घोर अनियमितता और डुप्लीकेसी के सम्बंध में की गई शिकायत की भौतिक जांच करवाने का आग्रह किया गया था जिस पर जांच करवाना तो दूर पत्र का कोई जवाब ही नहीं दिया गया। जिस पर निश्चित अंतराल पर लोकपाल कार्यालय द्वारा चार बार अनुस्मारक भी भेजे गए लेकिन नतीज़ा वही ढाक के तीन पात रहा। आख़िर इन अधिकारियों की नज़र में लोकपाल की नियुक्ति का कोई मतलब भी है? बड़ा सवाल: क्या लोकपाल की नियुक्ति मात्र खानापूर्ति है अथवा अधिकारी ही हुए हैं बेलगाम? देखना दिलचस्प होगा कि लोकपाल के पांचवे पत्र पर भी कोई कार्यवाई होती है अथवा कूड़े में डाल दिया जायेगा लोकपाल मनरेगा का आधिकारिक पत्र?