Home उत्तर प्रदेश पितृपक्ष के आगमन पर हिन्दू धर्मावलंबियों ने लगाई गंगा में डुबकी,

पितृपक्ष के आगमन पर हिन्दू धर्मावलंबियों ने लगाई गंगा में डुबकी,

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प्रतापगढ़।हिंदू धर्मावलंबी भादो मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर क्वार मास की शुक्ल पक्ष की अमावस्या 15 दिवस तक का समय पितृपक्ष कहा जाता है। जिसमें ऐसी मान्यता है, कि हिंदू धर्म के सभी पुरखे स्वर्ग से धरती पर अपने अपने संतानों के घरों को लौटते हैं। जहां उनकी संतान उन्हें श्रद्धा भाव से 15 दिन तक जल तिल का तर्पण व घर की ड्य़ोढी पर सभी प्रकार के व्यंजन बनाकर भोग लगाते हैं। पितृ पक्ष की नवमी को मातृ नवमी कहा जाता है। उस दिन मातृ शक्तियों को सभी प्रकार के व्यंजन का भोग लगाकर आशीर्वाद की कामना के साथ विदा करते हैं, तथा 15वे दिन अमावस्या को गोलोक वासी पुरुष पूर्वजों को श्रद्धा भाव के साथ तर्पण करते हुए व्यंजन का भोग लगाकर विदा किया जाता है। जिसे पितृ विसर्जन कहा जाता है। पितृगण आशीर्वाद देकर स्वर्ग वापस चले जाते हैं। इस प्रकार हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। जहां अपने पुरखों की सेवा करते हुए उनके करीब पहुंचने का अवसर मिलता है। यहां साल में 15 दिन अपने पूर्वजों का पूजा पाठ व जल तिल का तर्पण करके उन्हें खुश करते हैं।आज शुक्रवार को पूर्णिमा के दिन धार्मिक नगरी मानिकपुर स्थित शाहाबाद घाट पर पतित पावनी मोक्ष दायिनी मां गंगा की निर्मल व अविरल धारा में डुबकी लगाकर सिर का मुंडन करवाने के बाद जल तिल का तर्पण करते हुए घर पर अपने देव तुल्य पितरों का आवाहन करते हैं, कि घर पर आए हम उनकी सेवा सत्कार करेंगे। पितृपक्ष आज से प्रारंभ हो गया है, और यह 15 दिन तक चलता रहेगा।

 पतित पावनी गंगा में पुण्य की डुबकी लगाकर भक्तों ने किया मां गंगा का पूजन अपने पितरों का किया तर्प

परियावां(प्रतापगढ़)।भादों पूर्णिमा व पितृपक्ष प्रारंभ के अवसर पर कालाकांकर नवाबगंज गंगा घाट सहित क्षेत्र के अन्य घाटों में पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने पतित पावनी में पुण्य की डुबकी लगाकर विधि विधान से पूजा पाठ कर अपने पितरों को तर्पण के लिए किया स्नान दान का सिलसिला सुबह से शुरू होकर देर शाम तक चलता रहा। शुक्रवार को कालाकांकर, नवाबगंज के गंगा घाट में पहुंचे श्रद्धालुओं ने पतित पावनी मां गंगा को नमन कर पुण्य की डुबकी लगाई और फूल फल, धूप, दीप ,नैवेद्य अर्पित करती विधान से पूजा कर परिवार में सुख शांति आने के के लिए तर्पण कर वरदान मांगा।