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जश्ने हुसैन व जश्ने अब्बास में शायरों ने पढ़े क़सीदे-नज़्रो नियाज़ का भी चला दौर

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Prayagraj इस्लामिक माह शाबान की आमद के साथ जश्न का सिलसिला शुरु हो गया कहीं जनाबे ज़ैनब की तो कहीं इमाम हुसैन व हज़रत अब्बास की यौमे विलादत पर जश्न की महफिलें गुलज़ार हो रही हैं।एक शाबान को जनाबे ज़ैनब की आमद पर जश्न की महफिलें सजी वहीं इमाम हुसैन व हज़रत अब्बास की यौमे विलादत पर शोअरा ने एक से बढ़ कर एक अशआर पढ़ कर दाद बटोरी।करैली के इबादतखाना ,दरियाबाद में मस्जिद गदा हुसैन व इमाम हुसैन ,दरगाह हज़रत अब्बास के साथ दायरा शाह अजमल स्थित नवाब अब्बन मरहूम के इमामबाड़े में रज़ा इस्माईल सफवी व ज़िया इस्माईल सफवी की ओर से जश्ने हुसैन की महफिल में तो करैली में अब्बास गुड्डू की ओर से जश्ने सब्रो वफ़ा के मक़सद से महफिल सजाई गई।जलाल हैदर मुन्ना भाई द्वारा हदीस ए किसा से महफ़िल का आग़ाज़ हुआ।शायरों में ज़की अहसन ,ज़मीर भोपतपुरी ,अनवार अब्बास ,डा०क़मर आब्दी ,रौनक़ सफीपूरी ,अनवर कमाल ,आमिरुर रिज़वी ,जावेद रिज़वी करारवी , रुस्तम साबरी ,अज़हर इलाहाबादी ,रिज़वान हैदर ईशान कोरालवी ,हम्माद साहब ,हसनैन मुस्तफाबादी ,दानियाल दरियाबादी ,मेंहदी अब्बास,अम्बर वसीम , शहंशाह सोनवी ,ने भी अपने तास्सुरात का इज़हार किया।नवाब अब्बन मरहूम के इमामबाड़े की महफिल में डा०रिज़वान हैदर रिज़वी तो करैली के अब्बास विला में मोलाना मोहम्मद अली गौहर ने माहे शाबान की ढ़ेरों फज़ीलत बयान की वहीं यह भी बताया की शाबान एक ऐसा इसलामिक माह है जिसमें किसी भी मासूमीन की शहादत नहीं हुई।कहा इसी माह में चौथे इमाम जैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम व आखरी इमाम मेहदी आखिरुज़्ज़मा की यौमे पैदाइश होती है।दोनों महफिल की निज़ामत शफक़त अब्बास पाशा ने की।महफिल में मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर ,मौलाना अफजल अब्बास ,ज़ाकिर ए अहलेबैत रज़ा अब्बास जैदी ,मंज़र कर्रार ,मसूद हुसैन आब्दी ,रज़ा इस्माईल सफवी सैय्यद मोहम्मद अस्करी, शाहरुख काजी ,अस्करी अब्बास ,आलिम रिज़वी , सैय्यद वक़ार हुसैन ,रिज़वान जव्वादी ,हैदर अली ,मकसूद रिज़वी , ज़ुलक़रनैन आब्दी ,ज़फ़र भाई ,अब्बास गुड्डू ,ज़ुलक़रनैन आब्दी ,राशिद हैदरी ,अरशद अली क़ाज़ी ,ज़ीशान खान सफी नक़वी ,वसीम असग़र , मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन ,बाक़र मेंहदी,ज़रगाम हैदर आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।