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काशी तमिल संगमम:तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों के स्वर ताल से तरंगित हुआ नमो घाट

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वाराणसी। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र तंजावूर संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित काशी तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण का द्वितीय चरण नमोघाट स्थित मुक्ताकाशी प्रांगण में सम्पन्न हुआ। जिसमे तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगो को विभोर किया।प्रथम प्रस्तुति रहीऊटी के बी पुष्प कुमार के मार्गदर्शन में सहयोगी कलाकारों द्वारा कोठा ट्राइबल डांस की।द्वितीय प्रस्तुति रही
नीलगिरी पर्वत श्रंखला के थोड़ा आदिवासी समूह की श्रीमती सुधानंत थिरमालाई के निर्देशन में थोड़ा राट्राइबल नृत्य की जिसमे लयबद्ध होकर कभी वृत्ताकार कभी एक रेखा में सुरीली धुनों में लोक संगीत की अभिव्यक्ति से अपनी विरासत को दर्शाया।तृतीय प्रस्तुति रही काशी नाद द सोल ऑफ म्यूजिक समूह के कलाकारों द्वारा वृन्द वादन की ।जिसमे सितार पर थे श्री आनंद मिश्र तथा संतूर पर थे श्री नवीन भास्कर तथा वायलिन पर रहे श्री राहुलदास चौरसिया एवं तबला वादन रहा श्री पंक्ज राय तथा डॉ संदीप राव केवले का।वृन्द वादन का आरंभ हुआ शिवाय रचना से जिसमे शिव भक्ति के भाव भरे सुर सृजित हुए।
चतुर्थ प्रस्तुति रही संगीत विभाग की पूर्व अध्यक्षा डॉ संगीता पंडित जी के गायन की आपके साथ तबला संगति रही श्री पंकज राय एवं डॉ अभिनव नारायण आचार्य की संवादिनी पर साथ दिया श्री इंद्रदेव चौधरी ने गायन में शिष्याएं सहभागी रही सुश्री निवेदिता श्याम सुश्री अलका सुश्री अर्पिता भटाचार्य ।संगीता जी मे गायन का आरम्भ किया श्री राम भजन से श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन इसी क्रम में दादरा सुनाकर रससिक्त किया बोल थे सावरिया प्यारा रे मोरी गुईया ।आपने गायन का समापन किया पं हरिराम द्विवेदी जी की रचना से बोल थे लहर लहर लहराए गंगा ।
पांचवी प्रस्तुति रही
चेन्नई के युवा नर्तक श्री पी सुन्दरेशन के मार्गदर्शन में सहयोगी कलाकारों द्वारा मनोहारी भरतनाट्यम नृत्य की जिसमे वायलिन पर शिवरामन रहे तथा गायन में श्रीमती कंचन तथा मृदंगम पर वेंकट्सुब्रमण्यम रहे।
छठी प्रस्तुति रही वाराणसी की डॉ दिव्या श्रीवास्तव एवं उनकी सहयोगियों द्वारा उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य देढ़िया नृत्य की जिसने सभी को हर्षित किया साथ मे रही सुश्री सृष्टि दीपाली ,कृतिका ,ट्विंकएवं अंजली ।
सातवी प्रस्तुति रही कोयंबटूर के श्री जे विजयकुमार एवं उनके सहयोगियों द्वारा प्रस्तुत लोक वाद्य वृन्द वादन जिकाट्टम की जिसमे कलाकारों ने द्रुत गति में अवनद्य लोक वादन कर उपस्थित युवाओं को थिरकने पर प्रेरित कर दिया । आठवी
प्रस्तुति रही तंजाउर के कलाकारों द्वारा श्री एन जीवा राव के निर्देशन में मयूर वृषभ एवं अश्व के स्वरूप में आकर्षक लोक नृत्य की।
नवी प्रस्तुत्ति रही
तंजउर के श्री टी विनोद भारती एवं उनके सहयोगीयों द्वारा तमिलनाडु के लोक वृन्दवाद्य वादन की थप्पाट्टम की1जिसने सभी का मन लय ताल के माध्यम जीत लिया। तृतीय प्रस्तुति रही । अंतिम दसवीं प्रस्तुति रही,

पेरमबेलुर के श्री एम चेलादुरई एवं उनके सहयोगियों द्वारा लोक नृत्य नाट्य कोलई अट्टम की भावपूर्ण अवतारणा की। जिसमें कलाकारों द्वारा विभिन्न देवी स्वरूप में अभिनय एवं नृत्य किया गया ।नृत्य नाट्य रूपी इस लोक कला के माध्यम से समस्त लोग देवी के भिन्न स्वरूप का समदर्शन शिव केवसाथ कर धन्य हुये । कार्यक्रम का संयोजन प्रो सुरेश शर्मा निदेशक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज द्वारा किया गया।अंत मे धन्यवाद ज्ञापित किया उतर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के श्री अजय गुप्ता ने एवं मंच संचालन किया डॉ प्रीतेश आचार्य ने।