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अयूब से मुनीर, निक्सन से ट्रंप, सांप पालने के शौकीन रिपब्लिकन को हिलेरी क्लिंटन की नसीहत याद करने की जरूरत

From Aybu to Munir, from Nixon to Trump, it has been the old habit of Republicans to keep a snake near them, hoping that it will not do anything to them. But perhaps they forget the famous statement of former US Secretary of State Hillary Clinton in which she said in Islamabad that ‘You cannot keep a snake in your courtyard and expect that it will not bite you.’

वर्बा वोलांट, स्क्रिप्टामानेंट लैटिन भाषा का एक फ्रेज है। मतलब कहे हुए शब्द खत्म हो जाते हैं, लेकिन लिखे हुए शब्द हमेशा के लिए रह जाते हैं। ये कहावत लगभग 2000 साल पुरानी है। तब आवाज को ऑडियो-वीडियो के माध्यम से कैप्चर करने की तकनीक नहीं थी, लेकिन अब है। दशक गुजर जाते हैं, लेकिन इस दौरान घटित बातें कहे अनकहे रूप में सामने आ ही जाती है। नवंबर 1971 की बात है भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अमेरिका के दौरे पर गईं थी। उनका मकसद अमेरिका को ये बताना था कि पूर्वी पाकिस्तान में कितना बड़ा नरसंहार हो रहा है। इसके चलते भारत में एक बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया है। भारत के उत्तर पूर्वी इलाके में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर लाखों करोड़ों की संख्या में शरणार्थी आ रहे हैं। कहा जाता है कि इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने इंदिरा गाँधी का अपमान किया, 45 मिनट तक उन्हें इंतज़ार करवाया। फिर तीखी बातें भी की। लेकिन उस दौरान इंदिरा ने संयम दिखाते हुए खामोशी बरती। फिर सेना को पाकिस्तान पर हमले का आदेश दे दिया। कुछ ही दिनों में पाकिस्तान और निक्सन दोनों घुटने पर आ गए। अमेरिका का पाकिस्तान प्रेम कोई नया नहीं है, बल्कि वर्षों पुराना है। इतिहास से लेकर वर्तमान के दौर में पाकिस्तानी सेना के साथ गलबहियां करने के ढेरों अवसर मिल जाएंगे। कुल मिलाकर कहा जाए तो अमेरिका और पाकिस्तान का रिश्ता अवसरवाद का सबसे बड़ा उदाहरण है। अयबू से मुनीर, निक्सन से ट्रंप तक रिपब्लिकन की सांप को अपने पास पालने की पुरानी फितरत रही है, इस उम्मीद में कि वो उसे कुछ नहीं करेगा। लेकिन शायद वो पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की वो मशहूर बात भूल जाते हैं जिसमें उन्होंने इस्लामाबाद में कहा था कि ‘आप आंगन में सांप पालकर ये उम्मीद नहीं कर सकते कि वो आपको नहीं डंसेगा।’

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अमेरिका की दोहरी चाल एक बार फिर से उजागर हो गई है। व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर के बीच हुई बैठक ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कैबिनेट रूम में हुई इस बंद कमरे की मुलाकात के बाद एक औपचारिक लंच का भी आयोजन किया गया। जिससे ये संकेत साफ हो गया है कि अमेरिका पाकिस्तान को साथ लेकर चल रहा है। वहीं पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने न केवल पाकिस्तानी आर्मी चीफ की तारीफ की बल्कि ये तक कह दिया कि उनसे मिलकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। ट्रंप ने कहा कि मैं उन्हें यहां इसलिए बुलाना चाहता था कि मैं युद्ध न करने, संघर्ष खत्म करने के लिए उनका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। यह पहली बार था जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान के सेना प्रमुख से लंच मीटिंग कर रहा था। मुनीर ने ट्रंप को पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख पर पाकिस्तान आने का निमंत्रण भी दिया।

बहुत पुराना याराना लगता है

पाकिस्तान ऐतिहासिक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका का साझेदार रहा है और उसने शीत युद्ध और अफगानिस्तान में युद्धों में पश्चिम का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, अमेरिका-पाकिस्तान संबंध पिछले जो बिडेन प्रशासन के तहत निम्नतम बिंदु पर पहुंच गए थे – बिडेन ने चार वर्षों में अपने पाकिस्तानी समकक्ष से कभी बात नहीं की। अब, ऐसा लगता है कि ट्रंप एक बार फिर पाकिस्तान को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे समय में जब भारत के साथ उनके रिश्ते खराब होने लगे हैं। ट्रंप ने न केवल यह झूठा दावा करना जारी रखा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की मध्यस्थता की है और कश्मीर विवाद में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है, बल्कि उन्होंने चल रही व्यापार वार्ता में कठोर शर्तें भी मांगी हैं जो उस भावना के विपरीत हैं जिसके साथ वार्ता शुरू हुई थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति और पाकिस्तान सेना प्रमुखों की मुलाकात

8 दिसंबर 1959: ड्वाइट आइजनहावर और जनरल अयूब खान

जुलाई 1961: जॉन एफ. केनेडी और जनरल अयूब खान

अक्टूबर 1970: रिचर्ड निक्सन और जनरल याह्या खान

1989 में अनौपचारिक मुलाकात: जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश और जनरल मिर्जा असलम बेग

13 फरवरी 2002: जॉर्ज डब्ल्यू, बुश और जनरल परवेज़ मुशर्रफ पहली प्रमुख मुलाकात

अक्तूबर 2010: बराक ओबामा और जनरल अशफाक परवेज कयानी

22 जुलाई 2019: डोनाल्ड ट्रंप और जनरल कमर जावेद बाजवा –

18 जून 2025: डोनाल्ड ट्रंप और जनरल असीम मुनीर

तुम मुझे सैन्य अड्डे दो, मैं तुम्हें लड़ाकू विमान दूंगा

दक्षिण एशिया के साथ-साथ पश्चिम एशिया में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए ट्रंप ने पाकिस्तान को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और उन्नत मिसाइलें देने के बदले में पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और बंदरगाहों तक पहुंच मांगी है, सूत्रों ने सीएनएन-न्यूज 18 को बताया। ट्रंप ने मुनीर को बताया कि यह प्रस्ताव इस शर्त पर टिका है कि पाकिस्तान चीन और रूस के साथ अपने लेन-देन को बंद कर देगा। जबकि पाकिस्तानी सेना को ऐतिहासिक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सुसज्जित किया गया है, और पाकिस्तान एफ-16 युद्धक विमानों और नौसैनिक जागीरदारों जैसे अमेरिकी निर्मित प्लेटफार्मों का उपयोग करना जारी रखता है, देश हाल ही में चीन के करीब गया है और उसने चीन से लड़ाकू विमान, मिसाइल और अन्य सैन्य प्रणालियाँ प्राप्त की हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप ने पाकिस्तान को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता की पेशकश भी की है। रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने मुनीर को यह भी बताया कि नए सुरक्षा और व्यापार समझौते भी विचाराधीन हैं। एक शीर्ष राजनयिक सूत्र ने सीएनएन-न्यूज 18 को बताया कि ट्रंप चाहते हैं कि अगर ईरान के खिलाफ युद्ध में अमेरिका इजरायल के साथ शामिल होता है तो पाकिस्तान उनके साथ हो। यहीं पर सैन्य अड्डे, रसद अड्डे और समुद्री मार्ग जो वह चाहते हैं, संभावित रूप से तस्वीर में आते हैं।

ठोकर खाकर भी नहीं सुधरा अमेरिका 

1971 की लड़ाई में पाकिस्तान का समर्थन एक रिपब्लिकन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने किया था, और उन्होंने भारत के खिलाफ युद्ध में चीन को शामिल करने के लिए गुप्त प्रयास भी किए थे। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को रिपब्लिकन राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने मजबूत किया था, जब अफगानिस्तान से सोवियत संघ को भगाने के वास्ते ‘उग्रवादी जिहाद’ के लिए उन्होंने आईएसआई के ज़रिए समर्थन और फंड की व्यवस्था की थी। भारत को पहले पंजाब में और फिर जम्मू कश्मीर में आईएसआई प्रायोजित आतंकवाद का सामना करना पड़ा। व्यापार मामलों में भारत के साथ असंगत व्यवहार करने और उसे तरजीही दर्जे (जीएसपी) के फायदों से वंचित करने का काम रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में कर चुके हैं। कई मौकों पर मोदी की तारीफें करने के बावजूद ट्रम्प ने भारत की प्राथमिकताओं के विरुद्ध भी काम किए हैं, जिनमें शामिल हैं एच-1बी वीजा, जीएसपी और कश्मीर विवाद में मध्यस्थता के प्रस्ताव भी दे चुके हैं। अब ऐसे में यह सवाल बड़ा है। क्या ट्रंप फिर से वही गलती दोहराएंगे जो रीगन, क्लिंटन और बुश ने की थी? पाकिस्तान की सेना अपने हितों के लिए किसी को भी इस्तेमाल कर सकती है, चाहे वह अमेरिका हो, चीन या सऊदी अरब।